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चेयरमैन फीस एंड फंड्स रेगुलेटरी कमेटी (एफएफआरसी)कम मंडल कमिश्नर फरीदाबाद ने किसी भी प्राइवेट स्कूल का ऑडिट नहीं कराया। जब कि इस कार्य के लिए रखे गए ऑडिटर कम सीए को सरकारी खजाने से 6 लाख का भुगतान कर दिया। हरियाणा अभिभावक एकता मंच द्वारा एफएफआरसी में लगाई गई एक आरटीआई के संबंध में यह जानकारी मंच
को मिली है। मंच ने चेयरमैन एफएफआरसी कम मंडल कमिश्नर फरीदाबाद की इस कारवाई व कार्यशैली की शिकायत मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा से करके उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि हरियाणा सरकार ने शिक्षा नियमावली में संशोधन कर चेयरमैन एफएफआरसी कम मंडल कमिश्नर को यह अधिकार दिया था कि वह प्राइवेट स्कूलों की मनमानी की प्राप्त शिकायतों पर उचित कारवाई करे और प्रत्येक कैटेगरी के प्राइवेट स्कूलों में से लॉटरी के माध्यम से निकाले गए 5% स्कूलों के खातों की जांच करे और ऑडिट कराए। इसके लिए एक अनुभवी व योग्य सीए की वार्षिक मानदेय के आधार पर नियुक्ति की जाए। मंच की ओर से मंच के लीगल एडवाइजर एडवोकेट बीएस बिरदी ने 14 मार्च को एफएफआरसी में एक आरटीआई लगाकर जानकारी मांगी कि 2018 से लेकर 2023 तक नियमानुसार कितने मिडिल हाई स्कूल सीनियर सेकेंडरी स्कूलों का प्रत्येक वर्ष अनुसार 5% के हिसाब से ऑडिट किया गया है उन सभी का नाम व पूरा ब्यौरा प्रदान किया जाए और ऑडिट कराने के लिए सीए को उसकी नियुक्ति से लेकर अब तक सरकारी खजाने से कितना मानदेय व शुल्क प्रदान किया गया है उसकी जानकारी दी जाए।
एफएफआरसी के
एसपीआईओ ने 26 जून को आरटीआई का जवाब देकर बताया है कि है कि एफएफआरसी
के गठन से लेकर अब तक किसी भी वर्ष 5% के हिसाब से किसी भी स्कूल का ऑडिट नहीं किया गया है और CA को अब तक 6 लाख का भुगतान किया गया है।
मंच का आरोप है कि पिछले 5 साल में चेयरमैन
एफएफआरसी ने अपने अधिकार का प्रयोग नहीं किया है। मंच ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा को पत्र भेजकर चेयरमैन एफएफआरसी की कार्यशैली की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
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