माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर 10 साल पुराने सभी निजी स्कूलों की स्थाई मान्यता की समीक्षा का निर्देश दिया है। इसके साथ ही एचबीएसई और सीबीएसई को पत्र भेजकर कहा है कि बगैर समीक्षा के किसी भी स्कूल की आगे मान्यता न बढ़ाई जाए।हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड संबद्ध सभी 10 साल पुराने निजी स्कूलों को ऑनलाइन फार्म-2 भरने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि मान्यता का नवीनीकरण किया जा सके। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने जहां एक ओर सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है वहीं दूसरी ओर स्कूल संचालक सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि स्कूल संचालक हमेशा कहते हैं कि वे सीबीएसई व हरियाणा शिक्षा नियमावली के सभी नियम कानूनों का पालन कर रहे हैं लेकिन अब वे शिक्षा नियमावली के इस नियम का विरोध क्यों कर रहे हैं। मंच का कहना है कि स्कूल संचालक हर उस नियम व आदेश का विरोध करते हैं और उसको नहीं मानते हैं जो उनके
हितों के खिलाफ होता है या जिनकी वजह से उनके नियम विरुद्ध कार्यों की पोल खुलती है। मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा व लीगल एडवाइजर एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा है कि हरियाणा शिक्षा नियमावली 2003 में साफ-साफ लिखा हुआ है कि हरियाणा की धरती पर सीबीएसई, हरियाणा बोर्ड या अन्य किसी भी बोर्ड के जितने भी स्कूल संचालित हैं उनको शिक्षा नियमावली 2003 के सभी नियम कानूनों को मानना होगा। शिक्षा नियमावली का एक नियम यह है कि स्थाई मान्यता प्राप्त सभी प्राइवेट स्कूलों को हर 10 साल बाद अपनी मान्यता का नवीनीकरण कराना होगा।
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