फरीदाबाद -
समाजसेवी हरीश चन्द्र आज़ाद ने कहा कि भाजपा सरकार जब केन्द्र में आई थी तो देशवासियों को प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी से बहुत उम्मीदें थी क्योंकि देशवासी कांग्रेस शासन में हुए घोटालों तथा मंहगाई से परेशान हो चुके थे। प्रधानमंत्री के प्रथम तीन का कार्यकाल लोगों की उम्मीदों पर पूरी तरह से खरा उतरा और लोगों की उम्मीदें, एक साफ सुधरी तथा लोकतंत्र की रक्षा करने वाली सरकार पर बढऩे लगी लेकिन उसके बाद भाजपा भी कांग्रेस की तरह कुर्सी की लालच में कुर्सी पाने के लिये वही गंदी व ओछी राजनीति करने लगी।
सबसे पहले 2018 हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में भाजपा ने सरेआम आज़ाद भारत के इतिहास में सबसे बड़ी लोकतंत्र की हत्या की जब इनेलो के उम्मीदवार आर के आन्नद जो कांग्रेस के समर्थन से लड़ रहे थे तो स्याही कांड की वजह से जोकि चुनाव अधिकारीयों की गलती थी लेकिन जीते हुए आर के आन्नद को हराकर भाजपा उम्मीदवार सुभाष चन्द्रा को जीता दिया गया। इसी तरह 2019 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति का एक फैसला सुनाया था जिसको विधेयक लाकर भाजपा सरकार ने बदल दिया। मतलब साफ है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट का फैसला न मानकार अघोषित आपातकाल जैसा कार्य किया। इसी कड़ी में विपक्षी नेताओं को ईडी के डर से डराया जाने लगा। 2022 के हिमाचल चुनावों में जनता द्वारा हराए गए नेता जिसको जनता ने विद्यायक लायक भी नहीं समझा उसे मुख्यमंत्री बना दिया गया। महाराष्ट्र, कर्नाटक व मध्यप्रदेश की जनता द्वारा जीती हुई सरकारें तुड़वाकर लोकतंत्र की हत्या करके भाजपा व सहयोगीयों की सरकार बना दी। चंदीगढ़ के नगर निगम चुनावों व गोवा के विधानसभा चुनावों में जनता के फैसले को दरकिनार करके अपनी सरकार बनाई।
सबसे बड़ा आघोषित आपातकाल का उदाहरण तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों का एकमत फैसला दिल्ली सरकार को अपने फैसले खुद लेने का अधिकार दिया तो भाजपा सरकार ने फिर विद्येयक लाकर सुप्रीम कोर्टके फैसले का मानने से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश न मानने का साफ संदेश है आघोषित आपातकाल। इस प्रकार से यह एक आघोषित आपातकाल है तो कि स्व. इंदिरा गांधी के घोषित आपातकाल से भी भंयकर है।
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