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हंगरी की शिक्षा प्रणाली एवं अवसरों को लेकर हुई चर्चा

Posted by : pramod goyal on : Monday 11 April 2022 0 comments
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 फरीदाबाद, 11 अप्रैल - जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के अंतर्राष्ट्रीय मामले प्रकोष्ठ द्वारा विदेश जाकर उच्च शिक्षा हासिल करने के इच्छक विद्यार्थियों के लिए आज हंगरी की शिक्षा प्रणाली को लेकर एक विशेषज्ञ व्याख्यान सत्र का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को विदेशों में उपलब्ध शैक्षणिक अवसरों के प्रति जागरूक करना एवं उन अवसरों की तैयारी के लिए मार्गदर्शन प्रदान करना था। व्याख्यान सत्र में लगभग 250 विद्यार्थियों ने


हिस्सा लिया।

इस अवसर पर हंगरी के पाजमनी पीटर कैथोलिक विश्वविद्यालय, बुडापेस्ट से जुडिट नाग्यो विशेषज्ञ वक्ता रहीं। उन्होंने विद्यार्थियों को पीआर (स्थायी निवास) एवं पात्रता के महत्वपूर्ण पहलुओं से अवगत करवाया। सत्र को संबोधित करते हुए जुडिट ने कैरियर विकास योजना और हंगरी में अध्ययन के लिए अपनाई जाने वाली रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि हंगरी में लगभग सभी शैक्षणिक विषयों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अंग्रेजी में कई शैक्षणिक कार्यक्रम उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि हंगेरियन विश्वविद्यालयों में ट्यूशन भी फीस ली जाती है, लेकिन यूरोप के अन्य देशों की तुलना में यह बहुत सस्ती हैं। 
सत्र को संबोधित करते हुए दिव्या तोमर जोकि पाजमनी पीटर कैथोलिक विश्वविद्यालय, बुडापेस्ट से पीएचडी कर रही है, ने विद्यार्थियों के साथ अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने विद्यार्थियों को यूरोप के विदेशी संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रमों में आवेदन करने की प्रक्रिया के बारे में बताया तथा छात्रों को विदेशों में उपलब्ध छात्रवृत्ति के अवसरों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विदेशों में शिक्षा के लिए आवेदन करने पर परीक्षा के अंकों के अलावा अकादमिक सम्मेलन, कार्यशाला और एनएसएस एवं रक्तदान जैसी सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी भी बायोडेटा को मजबूत बनाती है। 
सत्र के अंत में विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मामलों की निदेशक डॉ. शिल्पा सेठी विशेषज्ञ वक्ताओं का धन्यवाद किया। सत्र का संचालन डॉ. राजीव साहा, डॉ. ममता कथूरिया और पीयूष द्वारा किया गया। 

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