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ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन आईपा ने मुख्यमंत्री हरियाणा को पत्र लिखकर शिक्षा सत्र 2022- 23 में 134ए लागू रखने की मांग की है। जिससे शिक्षा सत्र 2021-22 में इसका लाभ न लेने
वाले जरूरतमंद बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला मिल सके। आईपा ने यह भी मांग रखी है कि जिन छात्रों का अब तक 134a के तहत प्राइवेट स्कूलों में दाखिला मिला हुआ है उनकी उसी स्कूल में आगे पढ़ाई जब तक वे चाहें जारी रखी जाए और उन्हें पहले की तरह ही निशुल्क शिक्षा प्रदान कराई जाए। आईपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने कहा है कि शिक्षा सत्र 2021-22 के लिए जरूरतमंद परिवारों के जितने छात्रों का चयन 134a के तहत प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए हुआ था उनको प्राइवेट स्कूल संचालकों ने दाखिला नहीं दिया। ऐसे छात्रों को 1 अप्रैल से शुरू हो रहे नए शिक्षा सत्र में 134a के तहत दाखिला दिलाया जाए और इससे आगे आने वाले शिक्षा सत्रों में शिक्षा अधिकार कानून के तहत 25% गरीब छात्रों को निशुल्क दाखिला कराने की प्रक्रिया शिक्षा सत्र शुरू होने से 3-4 महीने पहले ही पूरी कर ली जाए।
हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि आइपा के पत्र पर हरियाणा सरकार ने अगर कोई उचित कार्रवाई नहीं की और इस साल गरीब बच्चों का दाखिला प्राइवेट स्कूलों में नहीं हुआ तो इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा और न्यायपालिका का भी सहारा लिया जाएगा।
134ए खत्म करने के खिलाफ आगे क्या रणनीति बनाई जाए इसके लिए मंच ने प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। मंच ने प्रत्येक जिले के अपनी मंच जिला इकाई से कहा है कि वे सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध करें और मुख्यमंत्री शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर अपना विरोध दर्ज कराएं। कैलाश शर्मा ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने विधानसभा सत्र में 134a खत्म करने का जिक्र किया था लेकिन इसके साथ साथ यह भी कहा था कि अब प्राइवेट स्कूलों में शिक्षा का अधिकार कानून आरटीई के तहत गरीब व पिछड़े परिवारों से 25% छात्रों का निशुल्क दाखिला कराया जाएगा। मंच का कहना है कि स्कूली शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण की ओर से बुधवार को जारी की अधिसूचना यह तो कहा गया है कि हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 2003 में से नियम 134A को हटा दिया गया है। पर कहीं यह नहीं लिखा गया है कि 1अप्रैल से शुरू होने वाले नए शिक्षा सत्र में ही शिक्षा अधिकार कानून के तहत गरीब बच्चों का दाखिला कराया जाएगा, इसका कोई जिक्र नहीं है। इससे अभिभावक अपने को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा, प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा ने कहा है कि 134a के तहत सभी कक्षाओं में 10% दाखिला कोटे में गरीब बच्चों को दाखिला देने का प्रावधान था जब कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009, (RTE Act) की धारा 12(1)(सी) के तहत निजी स्कूलों में ईडब्ल्यूएस छात्रों के लिए 25% सीटों का आरक्षण अनिवार्य है। हालांकि यह आरक्षण केवल आठवीं कक्षा तक लागू होता है। इतना ही नहीं RTE में सिर्फ नर्सरी केजी व पहली कक्षा में ही गरीब बच्चों को निशुल्क दाखिला दिलाने का प्रावधान है जिनको आठवीं तक निशुल्क पढ़ाना होता है। आठवीं के बाद उनको वही फीस देनी होगी जो दूसरे बच्चे देंगे।
मंच ने सभी अभिभावकों से कहा है कि वे सरकार के इस फैसले का सड़कों पर उतर कर पुरजोर विरोध करें। मंच उनके साथ है।
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