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पुरानी पेंशन बहाली व कच्चे कर्मियों को पक्का करने की मांग की अनदेखी की तो सरकार को भारी आक्रोश का सामना करना पड़ेगा

Posted by : pramod goyal on : Thursday, 24 March 2022 0 comments
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 फरीदाबाद,24 मार्च। पुरानी पेंशन बहाली व कच्चे कर्मियों को पक्का करने की मांग की अनदेखी की तो सरकार को कर्मचारियों के भारी आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। बजट सत्र में उक्त दोनों मांगों की अनदेखी के खिलाफ प्रदेश के लाखों कर्मचारी 28-29 मार्च को राष्ट्रव्यापी हड़ताल करेंगे और हड़ताल के बाद  सरकार की खिलाफ कर्मचारियों की व्यापक ए


कता के साथ निर्णायक आंदोलन का निर्माण किया जाएगा।  

यह चेतावनी बृहस्पतिवार को सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल की तैयारियों को लेकर विभिन्न विभागों में आयोजित कर्मचारियों की सभाओं को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रव्यापी हड़ताल ऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व होगी और पुरे देश में बीस करोड़ से ज्यादा कर्मचारी एवं मजदूर इसमें शामिल होंगे। उन्होंने पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे सभी संगठनों से हड़ताल में शामिल होने का आग्रह किया। हड़ताल की तैयारियों को लेकर बृहस्पतिवार को बल्लभगढ़ व फरीदाबाद खंडों में कर्मचारियों से सीधे संवाद स्थापित करने के लिए बीके हस्पताल, बिजली, नगर निगम, खनिज विभाग, उद्योग, रोड़वेज, पब्लिक हेल्थ,बीएंडआर, सिंचाई, टूरिज्म,हैफड, विकास एवं पंचायत विभाग, मंडी बोर्ड आदि विभागों में गेट मीटिंग आयोजित की गई। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा के फरीदाबाद खंड में जिला प्रधान अशोक कुमार, सचिव बलबीर सिंह बालगुहेर,उप प्रधान मास्टर भीम सिंह, रघबीर चौटाला,खंड सचिव जगदीश चंद्र,किरण सिंह व सोनू सोया और बल्लभगढ़ में खंड सचिव सुभाष देसवाल, जिला संगठन सचिव मुकेश बेनीवाल, रोड़वेज के नेता रविन्द्र नागर व बीरेंद्र सिंह, नगर निगम से विजय चावला, बल्लू चंडालिया आदि मौजूद थे।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, जिला प्रधान अशोक कुमार व सचिव बलबीर सिंह बालगुहेर ने कर्मचारी सभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि 28-29 मार्च की दो दिवसीय राष्ट्रीय व्यापी हडताल संविधान एवं संवैधानिक संस्थाओं और सरकारी विभागों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बचाने के लिए की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश की सम्पत्तियों को बेचना राष्ट्रहित नहीं है बल्कि यह पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना है। उन्होेंने कहा कि एक देश एक चुनाव,एक देश,एक मतदाता सूची का नारा बुलंद करने वाले जबाव दें कि एक देश है एक पेंशन व एक देश में एक प्रकार की नौकरी क्यों नहीं है।

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