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प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए सरकार ने बनाए कई नियम, मंच ने इसे सिर्फ कागजी कार्रवाई बताया

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 2 March 2022 0 comments
pramod goyal
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प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर और पूरी व्यवस्था को पारदर्शी करने के लिए हरियाणा सरकार ने महत्वपूर्ण फैसला किया है। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी को रोकने के लिए कई नियम कानून बनाए गए हैं। प्राइवेट स्कूलों को उनको मानना जरूरी होगा ऐसा न होने पर उनकी मान्यता रद्द की जा सकती है।
हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने इसे सिर्फ एक
कागजी कार्रवाई बताया है मंच का कहना है कि ऐसे कानून पहले से ही बने हुए हैं प्राइवेट स्कूलों ने आज तक उनका पालन नहीं किया है।

बनाए गए नियम कानून:
*सरकार ने प्राइवेट स्कूलों द्वारा कैश में फीस लेने पर रोक लगा दी है।
* प्राइवेट स्कूल सालाना 10% से अधिक फीस नहीं बढ़ा सकेंगे। लेकिन फीस बढ़ाने की कार्रवाई को टीचरों की तनख्वा बढ़ाने से जोड़ा गया है।
* यह भी नियम बनाया गया है कि छात्र व उनके अभिभावकों को स्कूल के अंदर से ही किताब कॉपी स्टेशनरी आदि खरीदने को मजबूर नहीं किया जाएगा। अब अभिभावक कहीं से भी यह खरीदने को स्वतंत्र होंगे।
* एनसीईआरटी की किताब की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें लगाने पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है।

* कोई भी स्कूल छमाई या वार्षिक आधार पर फीस नहीं लेगा। सिर्फ मासिक आधार पर ही फीस वसूल की जाएगी।
* स्कूल में प्रवेश के समय पहली, छठी, 9वीं और 11वीं कक्षा में दाखिले के समय पर भुगतान योग्य दाखिला फीस ली जा सकेगी।
* स्कूलों को स्पष्ट किया गया है कि बोर्ड परीक्षाओं की ही केवल एग्जाम फीस ली जाएगी। कई स्कूल अन्य कक्षाओं के लिए भी एग्जाम फीस का प्रावधान रखते हैं, इसलिए किसी भी मान्यता प्राप्त स्कूल को किसी भी छात्र के लिए अन्य वार्षिक परीक्षाओं या अन्य परीक्षाओं के लिए फीस के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
*हरियाणा व सीबीएसई बोर्ड के सभी स्कूलों को इनको मानना अनिवार्य किया गया है। 
यह नियम 2022-23 के शैक्षणिक सत्र से लागू किए जाएंगे। 2022-23 के शैक्षणिक सत्र से निजी स्कूलों के नकद फीस लेने पर भी रोक लगा दी गई है। स्कूलों को चेक या ऑनलाइन माध्यम से ही फीस जमा करवानी होगी। देखा गया है कि कई शैक्षणिक संस्थान कैश से छात्रों की फीस लेते है जबकि कागजों में फीस कुछ और ही दर्शाई जाती है। अब हर स्कूल फीस जमा करने की प्रक्रिया को खुली और पारदर्शी रखेगा।
स्कूलों को निदेशालय के आदेश अनुसार अगले सत्र से फीस लेनदेन के कार्य को पूरा करना होगा। इसमें कोई भी मनमानी स्कूल नहीं दिखा सकेंगे। छात्रों से फीस डीडी, एनईएफटी, चेक, आरटीजीएस या अन्य किसी डिजिटल माध्यम से ली जाएगी।  सभी प्राइवेट स्कूलों के लिए इन नियमों का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
3 बार से अधिक दोषी पाए जाने पर स्कूल की मान्यता रद्द करने का प्रावधान रखा गया है।
नए बनाए गए कानूनों के बारे में हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति देने से पहले सरकारी ऑडिटर से उनके आय व्यय व खातों की जांच व ऑडिट करानी चाहिए और उनके द्वारा गैर कानूनी मदों में किए गए खर्चों व लाभ के पैसे को अन्य जगह ट्रांसफर करने की भी जांच करनी चाहिए। अगर स्कूल लाभ में दिखाई देते हैं तो उनको फीस  बढ़ाने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष एडवोकेट वीएस विरदी व मंच की महिला सेल की संयोजक पूनम भाटिया ने कहा है कि फीस को लेकर जो नए कानून बनाए गए हैं उनमें से अधिकांश पहले से ही  शिक्षा नियमावली 2003 व सीबीएसई के नियम कानूनों में शामिल हैं। स्कूल संचालकों द्वारा इनके  उल्लंघन की जानकारी मंच ने सबूत के साथ चेयरमैन फीस एंड फंड्स रेगुलेटरी कमेटी (एफएफआरसी), अतिरिक्त मुख्य सचिव शिक्षा व चेयरमैन सीबीएसई  को कई बार दी है लेकिन दोषी स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की गई है। मंच की मांग है कि प्राइवेट स्कूल फायदे में हैं या घाटे में यह जानने के लिए सभी प्राइवेट स्कूलों के पिछले 10 साल के खातों की जांच व ऑडिट सीएजी से होनी चाहिए।

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