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अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले पर इस बार गर्मी का खासा असर देखने को मिल रहा है। दिनभर तेज धूप और गर्म हवाओं के चलते मेले में दर्शकों बेहद कम देख रहे हैं। वहीं, चौपालों पर होने वाले सांस्कतिक कार्यक्रमों में भी दर्शक नहीं जुट पा रहे हैं। ऐसे में एक तरफ जहां खरीदार नहीं होने से शिल्पकार चिंतित हैं। वहीं, चौपाल सूनी रहने से लोक कलाकारों में भी मायूसी है। अब वीकेंड पर मेला गुलजार होने की उम्मीद की जा रही है। सूरजकुंड की पहाड़ियों में लग रहे 35वें अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प सूरजकुंड मेले में इस बार स्टेट थीम के तौर पर जम्मू कश्मीर ने शिरकत की है. जम्मू कश्मीर की लगभग एक दर्जन दुकानें इस मेले में हैं. सभी दुकानों पर सर्दियों में खरीदे जाने वाला सामान जैसे कि गरम रजाई, गर्म कपड़े, गर्म शाल आदि हैं. इस दौरान जम्मू कश्मीर के हस्तशिल्पकारों ने बताया कि वह 2020 से ही कोरोना की मार झेल रहे हैं. जबसे कोरोना आया तभी से ही उनके हाथों का बनाया माल बाहर एक्सपोर्ट होना बंद हो गया. जिस कारण उनको काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
आलम यह है कि हस्तशिल्पकार आर्थिक मंदी की चपेट में अभी भी हैं. उन्होंने कहा कि उनको इस मंदी से निकलने में अभी कई सालों का समय लगेगा और उनको सरकार की ओर से मदद की बेहद जरूरत है. सरकार को चाहिए कि वह जम्मू-कश्मीर के हस्तशिल्प कारों को आर्थिक तौर पर सहायता राशि मुहैया कराए और टूरिज्म को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दिया जाए. क्योंकि जितने ज्यादा टूरिस्ट पहुंचेंगे उतने ही उनके सामान की ज्यादा बिक्री होगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ट्रांसपोर्ट को लेकर उनको बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पहाड़ों में ट्रांसपोर्ट की बेहद कमी है और कई कई किलोमीटर तो उनको अपना सामान पैदल लेकर चलना पड़ता है. उन्होंने कहा कि सूरजकुंड मेले में भी उनको इस बार निराशा हाथ लगी है जिसकी मुख्य वजह यही है कि इस बार मेला सर्दियों में ना होकर गर्मियों में लगाया गया है. उनकी दुकानों पर केवल सर्दियों का सामान ही उपलब्ध है. ऐसे में लोगों के पास पहले से ही पैसा नहीं है और गर्मियों में सर्दियों का सामान बेहद कम लोग खरीदने आते हैं. अगर यही मेला सर्दियों में होता तो उनको आर्थिक तौर से बेहद मदद मिलती.
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