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शहीद वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी का 164 वां बलिदान दिवस समारोह आयोजित किया गया

Posted by : pramod goyal on : Sunday 20 March 2022 0 comments
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 फरीदाबाद, 20 मार्च। रविवार को लोधी राजपूत जनकल्याण समिति (रजि) फरीदाबाद द्वारा अमर शहीद वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी चौक एनआईटी फरीदाबाद में शहीद वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी जी का 164 वां बलिदान दिवस समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता  अर्जुन सिंह लोधी ने की। मुख्य अतिथि ओबीसी मोर्चा भाजपा के जि


लाध्यक्ष भगवान सिंह, विशिष्ट अतिथि के रूप में नंगला भाजपा मंडल के अध्यक्ष कविन्द्र चौधरी मौजूद थे। सभी अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्य रूप से समिति संस्थापक, महासचिव लाखनसिंह लोधी, रूपसिंह लोधी अध्यक्ष, मनोज बालियान, सचिन तंवर, गीता शर्मा, मनीषा चौधरी, जगदीश कुमार, मनोज नागर, ओमप्रकाश आर्य, विजेंद्र शास्त्री, नंदकिशोर लोधी, अवनीष ठाकुर, सतपाल चौधरी, मोहित नागर, दीपक यादव आदि उपस्थित थे।

लाखन सिंह लोधी ने बताया अमर शहीद वीरांगना महारानी अवंतीबाई लोधी का जन्म 16 अगस्त 1831 को मध्यप्रदेश के जबलपुर के पास मनकेड़ी के जमींदार राव जुझार सिंह लोधी परिवार में हुआ था, बचपन से ही शस्त्रों से लगाव था। इनका विवाह रामगढ़ के युवराज विक्रमादित्य के साथ हुआ जिनकी दो संतानें अमान सिंह और शेरसिंह थे। 1857 स्वतंत्रता संग्राम की पहली नायिका जिन्होंने अंग्रेजों से लोहा लिया, एफ.आर.आर. रैडमैन द्वारा 1912 में सम्पादित मण्डला गजेटियर में इनकी वीरता की गौरवगाथा अंकित है। 15 जनवरी 1858 के युद्ध में रानी के पलटवार से कैप्टन वाडिंग्टन तो अपनी जान बचाकर भाग गया परन्तु वाडिंग्टन का बेटा रोमियो नामक बालक मैदान में रह गया जिसे सहृदयता रानी ने अंग्रेजी कैम्प में अपने सैनिकों से भिजवा दिया, वाडिंग्टन ने प्रभावित होकर रानी को पत्र लिखा कि आप बगावत छोड़ दें तो सरकार की ओर से आपका राज्य सुरक्षित रहेगा। रानी के मना करने पर वाडिंग्टन ने हमले किये जिस कारण रानी के कुशल नेतृत्व में कई युद्ध हुए, पुन: वाडिंग्टन ने 20 मार्च 1858 को लैफ्टीनेंट वार्टन एवं लैफ्टीनेंट कॉकवर्न और रीवा नरेश के साथ मिलकर हमला किया दोनों ओर से भयंकर युद्ध हुआ अंग्रेजी सेना काफी बड़ी होने के कारण। रानी ने घायल होने पर चारों ओर से घिरा देख स्वयं की कटार आत्मबलिदान कर देश पर शहीद हो गई। ऐसी वीरांगना की गाथा पाठ्यक्रम में शामिल करनी चाहिए। जिससे युवा पीढ़ी को पता चले कि आजादी कैसे मिली।
इस अवसर पर होती लाल लोधी, संजीव कुशवाहा, धर्मपाल सिंह लोधी, ओमकार सिंह राजपूत, भूपसिंह लोधी, प्रताप सिंह लोधी, सूरजपाल सिंह, सुरेश लोधी, रामजस वर्मा, सुखवीर सिंह लोधी, प्रेमपाल सिंह लोधी, शीशपाल शास्त्री, जागेश्वर राजपूत, ओमप्रकाश लोधी, आशा लोधी, रानी देवी, मीना देवी, अनारदेवी, उदयवीर सिंह, नेकराम वर्मा, कंचन सिंह लोधी, कंवरपाल सिंह, श्रीराम, हरिपाल सिंह राजपूत, हिमांशु, जयसिंह, प्रदीप, सोमू ठाकुर, वीरेन्द्र सिंह, एन.के. राजपूत, राहुल पांचाल, नीरज सिंह, ललित कुमार, राजेश कुमार लोधी, बूंदी लाल, बबलू सिंह लोधी आदि उपस्थित रहे। इसके अलावा कई संगठनों के कार्यकर्ता एवं सामाजिक लोगों ने श्रद्धा-सुमन अर्पित कर नमन किया।

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