HEADLINES


More

निर्मल धामा को गणतंत्र दिवस समारोह में महिला सशक्तिकरण के लिए सम्मानित किया गया

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 26 January 2022 0 comments
pramod goyal
//# Adsense Code Here #//

 डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एजुकेशन सोसायटी फरीदाबाद की मुख्य संयोजक, वरिष्ठ समाज सेविका एवं नगर निगम फरीदाबाद की सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी निर्मल धामा को आज 26 जनवरी 2022 को 73 वें  गणतंत्र दिवस समारोह में महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में वंचित समाज की लगभग 12 सौ से अधिक युवतियों और महिलाओं को कंप्यूटर, ब्यूटी पार्लर, सिलाई कढ़ाई तथा कौशल विकास मैं प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरियाणा सरकार के खेल एवं युवा मंत्री श्री संदीप सिंह के द्वारा सम्मानित किया गया.


इस अवसर पर श्रीमती निर्मला धामा ने कहा के उनका पूरा जीवन संघर्ष और चुनौतियों से भरा रहा है जिसे उन्होंने पूरी ईमानदारी, कड़ी मेहनत पक्का इरादा, अनुशासन और सकारात्मक दृष्टिकोण से जिया। गीता में कहा गया है के व्यक्ति को अपना कर्म करना चाहिए और फल प्राप्ति परमात्मा पर छोड़ देनी चाहिए । उन्होंने इस कहावत को अपने पूरे जीवन में आत्मसात किया और उसके परिणाम भी अच्छे मिले ।

श्रीमती निर्मला धामा  ने कहा कि उनका बचपन से ही सपना था कि वह स्वयं ज्यादा से ज्यादा पढ़े और बड़ी अधिकारी बनकर महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा के लिए कार्य करें। इसलिए वह हमेशा परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करती रहती थी कि उनकी शादी ऐसे लड़के और परिवार में हो जो उसे आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें और पढ़ने से ना रोके। वह जब दसवीं कक्षा में पढ़ती थी तभी उनकी शादी एक आर्य समाजी और स्वतंत्रता सेनानी परिवार में हो गई ।  परमात्मा ने उनकी  इस प्रार्थना को सुना और और उन्हें आगे पढ़ने से कभी नहीं रोका गया। शादी के समय मेरे पति ने मुझे तीन छोटी छोटी सी किताबें पढ़ने के लिए दी। एक किताब बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी की जीवनी थी जिसमें  तीन मूल मंत्र लिखे हुए थे और पहला मंत्र शिक्षा का था। उस पुस्तक मे महिलाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण के बारे में लिखा था। दूसरी पुस्तक महात्मा ज्योतिबा फुले की जीवनी थी जिसमें लिखा था कि  उन्होंने  पहले अपनी पत्नी सावित्रीबाई फुले को पढ़ाया और फिर उनकी पत्नी ने बालिकाओं की शिक्षा के लिए बालिका स्कूल खोलें। तीसरी किताब स्वामी दयानंद सरस्वती जी की जीवनी थी जिसमें लड़कियों को लड़कों के समान शिक्षा के अवसर प्रदान करने बारे लिखा हुआ था। इन तीनों पुस्तकों को पढ़ने से मेरे मन, दिल और दिमाग पर गहरा प्रभाव पड़ा और मैंने यह फैसला कर लिया कि चाहे जितनी भी मुश्किलें आएं ,उच्च शिक्षा प्राप्त करूंगी और अपने पूरे जीवन लड़कियों के पढ़ने के लिए और महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य करूंगी। मुश्किलें इतनी आई की उनका वर्णन करना भी मुश्किल है लेकिन मैंने हिम्मत नहीं आ रही और अंत में सफल रही।

No comments :

Leave a Reply