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पहली-दूसरी कक्षाओं को आंगनवाड़ी व एनजीओ को सौंपने के खिलाफ 30 जनवरी को शिक्षा मंत्री के आवास पर होगा प्रदर्शन - लांबा

Posted by : pramod goyal on : Tuesday 25 January 2022 0 comments
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 सरकार पहली-दूसरी कक्षाओं को आंगनवाड़ी और एनजीओ को सौंप कर जन शिक्षा को बर्बाद करने पर आमादा है। यह आरोप सरकार कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा और हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला प्रधान भीम सिंह व सचिव वीरेंद्र सिंह ने लगाया। उन्होंने कहा कि इसीलिए शिक्षा मंत्री संगठन व हितधारकों से इस बिषय में बातचीत तक करने को तैयार नहीं है। उन्होंने बताया कि नेशनल एजुकेशन पालिसी के नाम पर पहली- दूसरी कक्षाओं को आंगनवाड़ियों और एनजीओज को सौंपने और जन शिक्षा को बर्बाद करने के खिलाफ 30 जनवरी को शिक्षा मंत्री के जगाधरी आवास पर अध्यापक प्रदर्शन करेंगे। जिसमें सभी जिलों से शिक्षक शामिल होंगे। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने भी शिक्षा मंत्री के आवास पर होने वाले प्रदर्शन का पुरजोर समर्थन किया है।


सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि राज्य सरकार नई शिक्षा नीति की आड़ में पहली- दूसरी कक्षाओं को आंगनवाड़ियों और एनजीओज के हवाले कर सबको शिक्षा देने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ना चाहती है। जिसे सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा व हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगा और अभिभावकों,कर्मचारियों, अध्यापकों व मजदूर संगठनों को साथ लेकर सरकार की इस साजिश का पुरजोर विरोध किया जाएगा। ध्यान रहे कि शिक्षण कोई साधारण कार्य नहीं है। सभी बच्चों में युनिक क्वालिटी होने के कारण स्पैशलिस्ट ही शिक्षण करवा सकते हैं। सरकार क्वालिटी शिक्षा न देकर धोखा देना चाहती है। वहीं शिक्षकों व आंगनवाड़ी को आपस में लड़वाना चाहती है। परन्तु सभी सरकार की फूटपरस्ती की नीति को भी समझते हैं। इसलिए इकट्ठा मिलकर संघर्ष करेंगे।

हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के जिला प्रधान भीम सिंह व सचिव वीरेंद्र ने बताया कि सरकार शिक्षा के सार्वजनिक ढांचे को पूरी तरह बर्बाद करने पर तुली हुई है और संसद में बहस कराए बिना ही शिक्षा नीति को देश पर थोपा जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति के बहाने केंद्र और राज्य सरकार शिक्षा विभाग को निजी हाथों में देना चाहती है। छोटे स्कूलों को मजबूत करने की बजाय कम खर्ची या किफायत के नाम पर बंद करने की ,सभी स्कूलों मे शिक्षक देने की बजाय 10-12 गावों में एक स्कूल में ही शिक्षक देने की यह काली शिक्षानीति हैं। कौशल विकास के नाम पर छठी कक्षा से ही गरीब बच्चों को उन व्यवसायों के सपने दिखाए जा रहे हैं, जो औधौगिकरण  ने पहले ही कंगाली में धकेल रखे हैं। माडल स्कूलों के नाम पर दाखिला फीस व मासिक फीस शिक्षा अधिकार कानून का उल्लंघन भी है व बंचित तबको को शिक्षा के गलियारों से बाहर फैंक देने का षड़यंत्र भी इस शिक्षानीति को काली घोषित करवाता हैं।शिक्षानीति 2020 असल में शिक्षा को धन्ना सेठों के यहां गिरवी रखने व सरकार का जिम्मेदारी से भागने का पुलिंदा है। उन्होंने कहा कि संगठन पिछले साल से ही इसके दुष्परिणामों को देखते हुए इसे वापिस लेने की माँग करता आ रहा है। 


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