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सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का 1230/- रूपये वर्गगज का मुआवजा चार गांवों का घटाकर 645/- रूपये प्रति वर्गगज कर दिया इस फैसल को लेकर नहरपार के किसानों की स्थिति काफी खराब हो गई इस आदेश को लेकर बड़ौली गांव में किसानों की एक बैठक आयोजित की गई जिसकी अध्यक्षता किसान संघर्ष समिति ग्रेटर फरीदाबाद के अध्यक्ष शिवदत्त वशिष्ठ एडवोकेट ने की जिसमें किसानों ने अपने-2 विचार रखे और सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि इस आदेश के खिलाफ नहरपार के किसान सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका (पुन: विचार याचिका) दायर करेंगे और जिस किसी किसान को अपनी जमीन की इस रिव्यू याचिका (पुन: विचार याचिका) में शामिल होना है वह किसान अपने-अपनेे कागजात ब्लाक समिति के सदस्य सतपाल चन्दीला के पास जमा करेंगे। वशिष्ठ ने कहा कि जो रिव्यू यचिका तथ्यों के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में दायर की है। यह कि नहरपार के पांच गांवों की जमीन अन्य गांवों के मार्फत उपजाऊ व समतल है, चार गांव बड़ौली, प्रहलादपुर, मिर्जापुर, भतौला का मुआवजा 645/- रूपये प्रति वर्गगज किया है जबकि इसे 1230/- रूपये प्रति वर्गगज के हिसाब से रखा जा सकता था। और पांच गांवों में से एक गांव सीही का मुआवजा 1230/- रूपये ही रखा गया है और इस फैसले में किसानों की कई बडी रजिस्ट्रीयों का हवाला भी नहीं है, किसानों ने रिव्यू में कहा है कि किसानों की बहस को ऑन लाईन सुना गया है जबकि कोर्ट में फिजिकल सुना जाये। वशिष्ठ ने कहा कि नहरपार पांच गांवों की जमीन पर रिहायशी सैक्टर 75 व 80 स्थापित गए थे जबकि इन दो सैक्टरों की जमीन अन्य सैक्टरों की मार्फत सबसे अच्छी लोकेशन पर है। अब नहरपार के किसानों को सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका एडमिट करने का इन्तजार है जिस दिन नहरपार के किसानों को बहस सुनने का समय दिया जायेगा। इस मौके पर रिव्यू की जानकारी किसान ब्रहमदत्त वशिष्ठ, प्रदीप, मनोज, राजू, सेवक राम, मुकरन्द, मेघराज, श्याम, पवन, सीमा आदि मौजूद थे।
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