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कानून इजाजत दे रहा है, सिर्फ इसलिए अरेस्ट नहीं कर सकते किसी को: SC, मंच ने फैसले का किया स्वागत

Posted by : pramod goyal on : Monday 23 August 2021 0 comments
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 हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने उच्चतम न्यायालय के एक फैसले,   "कानून इजाजत दे रहा है, सिर्फ इसीलिए किसी को अरेस्ट नहीं कर सकते" का स्वागत करते हुए कहा है कि पुलिस अधिकारी सीपीआरसी की धारा 170 का दुरुपयोग ना करें और इस धारा को लेकर उच्चतम न्यायालय द्वारा दी गई स्पष्ट राय व फैसले का सम्मान करें।

मंच के प्रदेश अध्यक्ष व वरिष्ठ एडवोकेट ओपी शर्मा ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने अपने  महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि किसी मामले में आरोपी की गिरफ्तारी तभी हो सकती है जब मामला गंभीर अपराध से जुड़ा हो या आरोपी के गवाह को प्रभावित करने या फिर आरोपी के भागने का अंदेशा हो। उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा है कि सिर्फ इसलिए कि कानून में गिरफ्तारी  का प्रावधान है आरोपी को गिरफ्तार करना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी की शक्ति होना और गिरफ्तारी की अनिवार्यता का जस्टिफिकेशन होना अलग बातें हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अगर रूटीन प्रक्रिया में आरोपियों की गिरफ्तारी की जाने लगी तो इससे मान प्रतिष्ठा वाले लोगों की मान प्रतिष्ठा की जो हानि होगी उसका आकलन मुश्किल है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन आईपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट बी एस विरदी ने उच्चतम न्यायालय के गुरुवार को दिए गए फैसले के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस के कौल की अगुवाई वाली बेंच ने 83 प्राइवेट लोगों द्वारा मांगी गई अग्रिम जमानत की सुनवाई के दौरान कहा है कि ट्रायल कोर्ट ने यह मत दिया है सीआरपीसी की धारा 170 के तहत चार्ज शीट के समय आरोपियों की कस्टडी जरूरी है इस पर बेंच ने  कहा है ऑफिसर इंचार्ज पर सीपीआरसी की धारा 170 यह दायित्व नहीं डालता कि चार्जशीट के वक्त आरोपी की गिरफ्तारी होनी चाहिए। इस धारा में कस्टडी शब्द का इस्तेमाल हुआ है मगर इसका मतलब ये नहीं है की पुलिस कस्टडी या ज्युडीशियल कस्टडी। इसका मतलब है कोर्ट के सामने पेशी। सीनियर सिटीजन व प्रमुख समाज सेविका उषा किरण शर्मा ने भी उच्चतम न्यायालय के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि पुलिस            सीआरपीसी की धारा 170 का दुरुपयोग करती है। एक पक्ष या एक आदमी का कोई कसूर न होते हुए भी दूसरे पक्ष व शिकायतकर्ता के दबाव में निर्दोष आदमी को गिरफ्तार करके उसके मान सम्मान को चोट पहुंचाती है। कई बार देखा गया है कि इस चोट व  अपमान को एक ईमानदार व निर्दोष आदमी सहन नहीं कर पाता है और वह आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठा लेता है। लोगों का मत है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीपीआरसी की धारा 170 को लेकर दी गई राय व फैसले से एक आम आदमी को पुलिस की प्रताड़ना से काफी राहत मिलेगी।


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