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आउटसोर्सिंग पालिसी भ्रष्टाचार की जननी व शोषण की पोषक - सुभाष लांबा

Posted by : pramod goyal on : Friday 13 August 2021 0 comments
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 फरीदाबाद,13 अगस्त।


सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने आउटसोर्सिंग पालिसी को भ्रष्टाचार की जननी और शोषण की पोषक बताते हुए इसको वापस लेने की मांग की है। उन्होंने आउटसोर्सिंग पालिसी को खत्म कर ठेका कर्मियों को विभागों के पे-रोल पर लेकर पक्का करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ठेके पर कर्मियों को नौकरी पर लगाने के लिए बनाई जा रही सरकारी कंपनी शोषण व भाई-भतीजावाद को और बढ़ावा ही देने का काम करेंगी। उन्होंने उक्त मांग शुक्रवार को सकसं की जिला कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए की। जिलाध्यक्ष अशोक कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में जिला एवं खंड कमेटियों के पदाधिकारियों के अलावा विभागीय संगठनों के पदाधिकारी मौजूद थे। जिला सचिव बलबीर सिंह बालगुहेर द्वारा संचालित इस बैठक में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं जिला प्रभारी नरेश कुमार शास्त्री मौजूद थे। बैठक में ठेका प्रथा समाप्त कर कच्चे कर्मियों को पक्का करने, पक्का होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने, पुरानी पेंशन बहाल करने, पीटीआई,खेल कोटे के ग्रुप डी के कर्मियों, स्वास्थ्य ठेका कर्मचारियों सहित नौकरी से निकाले गए सभी कर्मचारियों को वापस ड्यूटी पर लेने, सभी विभागों में रिक्त पड़े पदों को पक्की भर्ती से भरने, जनवरी, 2020 से जून,2021 के बकाया डीए के एरियर ,2016-19 की एलटीसी का भुगतान करने, विनिवेश के नाम पर सार्वजनिक क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने पर रोक लगाने और विभिन्न विभागों में खाली पड़े लाखों पदों को पक्की भर्ती से भरने आदि मांगों को प्रमुखता से उठाया गया। बैठक में सर्व सम्मति से उक्त मांगों को लेकर 10 सितंबर को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करने का फैसला लिया गया।


सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री ने कहा कि बीते 5 अगस्त को मंत्रिमंडल की बैठक के फैसलों की समाचार पत्रों व मुख्यमंत्री की प्रेस कांफ्रेंस से मिली जानकारी से साफ है कि सरकार ने आउटसोर्सिंग पालिसी को खत्म करने की बजाए सरकारी कम्पनी के माध्यम से ठेका भर्ती करने का फैसला लिया है। एसकेएस इस पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करता है, क्योंकि भ्रष्टाचार आउटसोर्सिंग पालिसी में ही समाया हुआ है। इसके इलावा सरकार के इस फैसले में वर्तमान में कार्यरत आउटसोर्सिंग पालिसी में कार्यरत 10 से 15 सालों से कार्यरत हज़ारों कर्मचारियों बारे सरकार ने चुप्पी साधी है। इसलिए आने वाले वाले समय में उनके रोजगार पर संकट मंडराएगा। इसलिए सरकार को स्थिति स्पष्ट करते हुए फ़ौरन सभी ठेका कर्मचारियों को विभाग के पे-रोल पर लेकर उन्हें सेवा सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी आशंका जाहिर करते हुए कहा कि मंत्रिमंडल के फैसलेनुसार हरियाणा कौशल रोजगार नाम की 2 करोड़ रुपए के इक्वटी शेयर के साथ शुरू की गई कम्पनी शेयर मार्किट पर आधारित होगी। इसका मुख्य लक्ष्य मुनाफा कमाना होगा न कि बेरोजगारों को सुरक्षित व सम्मानजनक वेतन पर रोजगार देना। इसलिए इसका असर कम्पनी के जरिए नियुक्त किए जाने वाले कर्मचारियों की सेवा शर्तों,  वेतन ढांचे व उनके श्रम अधिकारों पर पढ़ना निश्चित है। मुनाफे की होड़ में कम वेतन पर कर्मचारियों से ज्यादा काम लिया जाएगा। यही नहीं शेयर की खरीद-फरोख्त कर देर-सवेर इस कम्पनी पर भी उन्हीं बड़े कार्पोरेट्स ( ठेकेदारों ) का कानूनी रूप से कब्जा हो जाएगा जो आज भी कर्मचारियों का शोषण करने पर लगे हुए हैं।

बैठक में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा व विभागीय संगठनों के पदाधिकारी गुरचरण सिंह गाडियां, अतर सिंह केशवाल, मुकेश बेनीवाल, खुर्शीद अहमद, जगदीश चंद्र,करतार सिंह, गांधी सहरावत, रोड़वेज के प्रधान रविन्द्र नागर, राजबीर नागर, रघबीर चौटाला, राकेश चिंडालिया, विजय चावला आदि मौजूद थे।

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