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ड्रग फ्री इंडिया - नशा मुक्त भारत में युवाओं की अहम भूमिका

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 4 August 2021 0 comments
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 शिक्षा विभाग के आदेशानुसार राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा के मार्गनिर्देशन में कानूनी सहायता प्रकोष्ठ द्वारा जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड के सहयोग से नशा मुक्त भारत अभियान चलाया गया। जूनियर रेडक्रॉस और ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने देश के युवाओं में बढ़ती हुई नशे की लत पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय व्यापक सर्वेक्षण के अनुसार देश में छह करोड़ से अधिक लोग मादक पदार्थों का प्रयोग करते हैं जिनमें से अधिकतर लोग 10-17 वर्ष की आयु के हैं। रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि देश भर में 500 से अधिक ऐसे स्वयंसेवी संगठन हैं जो मादक पदार्थों की खपत में कमी लाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसके लिए इन्हें राष्ट्रीय कार्य यो


जना के तहत वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इस समस्या की चिंता सामाजिक संकट के रूप में करनी होगी। हम जानते हैं कि एक बच्चा जब इस बुराई में फंसता है तो हम सभी उस बच्चे को दोषी मानते हैं। जबकि सच यह है कि नशा बुरा है। बच्चा बुरा नहीं है, नशे की लत बुरी है। हम आदत को बुरा मानें, नशे को बुरा मानें और उससे दूर रखने के रास्ते खोजें। अगर हम बच्चे को दुत्कार देंगे, तो वो और नशा करने लग जाएगा। ये अपने आप में एक मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और चिकित्सकीय समस्या है। और उसको हमें मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और चिकित्सकीय समस्या के रूप में ही देखना पड़ेगा। नशा व्यक्ति को अंधेरी गली में ले जाता है, विनाश के मोड़ पर लाकर खड़ा कर देता है और उसके बाद उस व्यक्ति की जिंदगी में बर्बादी के अलावा और कुछ नहीं बचता। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि युवाओं को नशे के खिलाफ जागरुक करने में मीडिया की अहम भूमिका है तथा मीडिया अपना रोल बखूबी निभा रहा है। आज मीडिया को युवाओं का सही मार्ग दर्शक बनकर उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने की आवश्यकता है।  कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि जब जीवन में निराशा आ जाती है, विफलता आ जाती है, जीवन में जब कोई रास्ता नहीं सूझता, तब व्यक्ति नशे की लत में पड़ जाता है। जिसके जीवन में कोई ध्येय नहीं है, लक्ष्य नहीं है, इरादे नहीं हैं, वहां पर ड्रग्स का प्रवेश करना सरल हो जाता है। ड्रग्स से अगर बचना है और अपने बच्चे को बचाना है, तो उनको ध्येयवादी बनाइये, कुछ करने के इरादे वाला बनाइये, सपने देखने वाला बनाइये। आप देखिये, फिर उनका बाकी चीजों की तरफ मन नहीं लगेगा। इसलिए स्वामी विवेकानंद के शब्द कि – एक विचार को ले लो, उस विचार को अपना जीवन बना लो। उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो। उस विचार को जीवन में उतार लो। अपने दिमाग, मांसपेशियों, नसों, शरीर के प्रत्येक हिस्से को उस विचार से भर दो और अन्य सभी विचार छोड़ दो। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने नशा मुक्त अभियान के आयोजन के लिए आशा वर्मा और जसनीत कौर सहित सुंदर संदेश देने के लिए ताबिंदा, सृष्टि, निशा, खुशी, अंकिता, पूनम, आंचल, नेहा, चंचल सहित सभी छात्राओं का आभार व्यक्त करते हुए नशा मुक्त भारत बनाने का आह्वान किया।


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