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स्कूल लाभ में हैं, सरकार फिर भी दे रही है उनको फीस बढ़ाने का अधिकार, मंच ने जताया कड़ा विरोध

Posted by : pramod goyal on : Thursday 12 August 2021 0 comments
pramod goyal
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 शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने बुधवार को फिर कहा है कि सरकार ऐसा नियम बना रही है कि स्कूल प्रबंधक आठ से 10 परसेंट तक फीस बढ़ा सकते हैं। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने इस पर कड़ा एतराज़ किया है। मंच ने  मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताते हुए कहा है स्कूल  खासकर सीबीएसई वालों की पिछले 5 साल की बैलेंस शीट व ऑडिट रिपोर्ट दर्शाती है कि स्कूलों के पास पहले से ही काफी संख्या में रिजर्व व सरप्लस फंड मौजूद है। स्कूल लाभ में हैं। आमदनी कम दिखाने के लिए स्कूल संचालकों ने कई गैरकानूनी मदों में खर्चा दिखाया है अगर उस खर्चे को हटाया दिया जाए तो लाभ का पैसा और अधिक बढ़ जाएगा। इसकी सच्चाई जानने के लिए स्कूलों के खातों की जांच व ऑडिट सीएजी से कराने की जरूरत है। मंच ने कई बार इसकी मांग की है लेकिन सरकार ऐसा ना करके उल्टे स्कूल संचालकों को प्रतिवर्ष 8 से 10 प्रतिशत तक फीस बढ़ाने का अधिकार देने जा रही है। ऐसा करके सरकार अभिभावकों का और अधिक आर्थिक व मानसिक शोषण स्कूल प्रबंधकों से करवाना चाहती है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा व प्रदेश संरक्षक सुभाष लां


बा ने कहा है कि जिस सीबीएसई बोर्ड से स्कूल संबंधित हैं वह उनको फीस वृद्धि करने की अनुमति नहीं देता तो फिर हरियाणा सरकार ऐसा क्यों करने जा रही है। मंच ने सीबीएसई में आरटीआई लगाकर पूछा था कि सीबीएसई स्कूलों को कितने प्रतिशत फीस बढ़ाने की अनुमति देता है। जिसके जवाब में सीबीएसई ने उत्तर दिया है कि स्कूलों को फीस में वृद्धि करने के लिए बोर्ड कोई अनुमति प्रदान नहीं करता है। प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि मंच ने फरीदाबाद के 36 प्राइवेट स्कूलों की आरटीआई के तहत बैलेंसशीट व फार्म 6 की फोटो कॉपी प्राप्त की है। इनकी जांच पड़ताल करने से पता चला है इन स्कूलों के पास लाखों रुपए रिजर्व व सरप्लस फंड के रूप में जमा हैं। उन्होंने आमदनी और खर्चे में काफी हेराफेरी की है, लाभ के पैसे को अपने अन्य संस्थानों में डाइवर्ट किया है। इसके अलावा आमदनी को लमसम दिखाया है ट्यूशन फीस के अलावा और किन-किन गैर कानूनी फंडों में पैसे लिए उनका नाम और उनमें वसूली गई फीस को नहीं दिखाया है। लाभ कम दिखाने के लिए कई फालतू मदों जैसे लीगल, पैकिंग, एडवरटाइजमेंट, मनोरंजन, टूर एंड ट्रैवल, वार्षिक उत्सव, एनुअल डे, डोनेशन, स्कूल के नाम से जमीन खरीदने आदि अन्य कई गैर कानूनी मदों में लाखों रुपए खर्चा दिखाया है। इसके बाद भी जो करोड़ों रुपए लाभ के रूप में बचे उसको अन्य खर्चा के कोलम में दिखाकर आमदनी और खर्चों को बराबर कर दिया है। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन आईपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा है कि मंच व आईपा की ओर से मई 2020 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखकर बताया गया था कि प्राइवेट स्कूलों की फीस व फंडस को रेगुलेट व नियंत्रित करने के लिए 2014 में प्रत्येक मंडल कमिश्नर की अध्यक्षता में बनाई गई  फीस एंड फंड्स रेगुलेटरी कमेटी एफएफआरसी अपने उद्देश्य को लेकर पूरी तरह से विफल हुई है अतः हरियाणा के सभी प्राइवेट स्कूलों के पिछले 10 साल के खातों की जांच व ऑडिट सीएजी से कराई जाए लेकिन हरियाणा सरकार ने एक साल बाद भी मंच के पत्र पर कोई उचित कार्रवाई नहीं की है अतः अब मंच सभी स्कूलों का सीएजी से ऑडिट कराने की मांग को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करेगा। मंच ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से अपील की है कि वे प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति देने से पहले इनके खातों की जांच व ऑडिट सीएजी से कराएं जिससे पता चल सके कि स्कूल लाभ में हैं या घाटे में और उन्होंने जो फालतू व गैर कानूनी मदों में पैसा खर्च के रूप में दिखाया है वह कानूनन सही है या नहीं। 

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