HEADLINES


More

सभी अल्पसंख्यक स्कूल भी आरटीई के दायरे में आएं, एनसीपीआरसी ने सरकार से की सिफारश

Posted by : pramod goyal on : Wednesday, 11 August 2021 0 comments
pramod goyal
//# Adsense Code Here #//
राष्ट्रीय शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई) को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार व संरक्षण आयोग   एनसीपीआरसी द्वारा किए गए सर्वेक्षण में कई खामियां पाई गई है। एनसीपीसीआर  ने कहा है कि अल्पसंख्यक नाम से जितने भी स्कूल खुले हुए हैं उनमें ज्यादातर  बहुसंख्यक वर्ग  अभिभावकों के बच्चे पढ़ाई कर

रहे हैं अतः इन स्कूलों को आरटीई से अलग रखना सही नहीं है इनको भी आरटीई के तहत किया जाए।
ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन आईपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा में कहा है कि फरीदाबाद में मॉडर्न स्कूल व अन्य कई मिशनरी स्कूलों को भी आरटीई कानून से अलग रखा गया है क्योंकि इनकी मैनेजमेंट का तर्क है इन स्कूलों को अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को पढ़ाने के लिए खोला गया है जबकि हकीकत यह है कि इन स्कूलों में अधिकांश बहुसंख्यक वर्ग के बच्चे ही पढ़ाई कर रहे हैं। ये स्कूल अल्पसंख्यक स्कूल के नाम से काफी फायदा केंद्र द्वारा सरकार से ले रहे हैं। पूरे देश के प्रतिशत की बात करें तो एनसीपीआरसी ने पाया है कि अल्पसंख्यक स्कूलों में 62.5% छात्र गैर-अल्पसंख्यक समुदायों से हैं। एनसीपीसीआर ने अल्पसंख्यक स्कूलों का राष्ट्रव्यापी मूल्यांकन करने के बाद सरकार से मदरसों सहित ऐसे सभी स्कूलों को शिक्षा के अधिकार और सर्व शिक्षा अभियान के दायरे में लाने की सिफारिश की है।
एनसीपीसीआर ने ऐसे स्कूलों में अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए आरक्षण का भी समर्थन किया, क्योंकि इसके सर्वेक्षण में वहां पढ़ने वाले गैर-अल्पसंख्यक छात्रों का एक बड़ा हिस्सा पाया गया था।
मंगलवार को जारी एनसीपी आरसी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक ईसाई मिशनरी स्कूलों में 74 फीसदी छात्र गैर-अल्पसंख्यक समुदायों के थे। ऐसे स्कूलों में कुल मिलाकर 62.50 प्रतिशत छात्र गैर-अल्पसंख्यक समुदायों के थे। आईपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने शिक्षा अधिकार कानून को लेकर एनसीपीआरसी की सर्वेक्षण रिपोर्ट की बातों पर सहमति प्रदान करते हुए कहा है कि  ईसाई मिशनरी स्कूलों में पढ़ने वाले 74 प्रतिशत छात्र अल्पसंख्यक समुदाय से नहीं हैं। “कई स्कूल अल्पसंख्यक संस्थानों के रूप में पंजीकृत हैं, सिर्फ इसलिए कि उन्हें आरटीई लागू करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन क्या अनुच्छेद 30, जो अल्पसंख्यकों को सांस्कृतिक भाषाई और धार्मिक संरक्षण के लिए अपने संस्थान खोलने का अधिकार सुनिश्चित करता है, अनुच्छेद 21 (ए) का उल्लंघन कर सकता है जो एक बच्चे के शिक्षा के मौलिक अधिकार की रक्षा करता है। निश्चित रूप से अनुच्छेद 21 (ए) मजबूत होना चाहिए।
उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि एनसीपीआरसी की रिपोर्ट के आधार पर  अल्पसंख्यक स्कूलों को मिली छूट की समीक्षा की जानी चाहिए।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण एवं अधिकार आयोग ने सरकार से सिफारिश की है कि शिक्षा का अधिकार और सर्व शिक्षा अभियान मदरसों सहित सभी अल्पसंख्यक स्कूलों में लागू किया जाए।

No comments :

Leave a Reply