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आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंम्पलाईज फैडरेशन ने किया राष्ट्रव्यापी आंदोलन का ऐलान- लांबा

Posted by : pramod goyal on : Thursday 19 August 2021 0 comments
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 फरीदाबाद,19 अगस्त।


आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंम्पलाईज फैडरेशन ने पुरानी पेंशन बहाली व ठेका कर्मचारियों को पक्का करवाने और जन सेवाओं के निजीकरण के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन का ऐलान किया है। यह निर्णय फैडरेशन की मेगपाई टूरिस्ट काम्प्लेक्स में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में लिया गया। मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए फैडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव ए.श्री कुमार ने बताया कि नवंबर व दिसंबर महीने में सभी राज्यों में हजारों की संख्या में वाहन जत्थे चलाए जाएंगे। यह जत्थे सभी विभागों, शहरों एवं कस्बों में सभाएं आयोजित करेंगे। इन सभाओं में नव उदारवादी आर्थिक नीतियों के कुप्रभावों,जन सेवाओं के निजीकरण के कारण रोजगार के बदलते स्वरूप और बढ़ती महंगाई के बारे में जानकारी देते हुए कर्मचारियों एवं जनता की व्यापक एकता स्थापित की जाएगी। उन्होंने बताया कि आंदोलन के अगले चरण में सभी राज्यों में राज भवन मार्च आयोजित किए जाएंगे। वाहन जत्थों एवं राजभवन मार्च के सफल आयोजन के लिए अगस्त महीने में सभी राज्यों में राज्य कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की जाएगी और सितंबर महीने में जिला एवं खंड स्तर पर बैठकें आयोजित की जाएगी। नवंबर महीने में सभी विभागीय यूनियन एवं एसोसिएशन की बैठकों का आयोजन किया जाएगा।


राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के समापन पर राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार जन सेवाओं का तेजी से निजीकरण कर रही है। रोजगार का स्वरूप बदल गया है और रेगुलर प्रकृति के काम में ठेके पर कर्मचारियों को नौकरी पर लगाया जा रहा है। जहां नौजवानों का ठेकेदार व सरकार जमकर शोषण कर रहे है। उन्होंने कहा कि देश के करोड़ों कर्मचारियों की मांग के बावजूद पुरानी पेंशन बहाल नही की जा रही है, जबकि विधायक एवं सांसद पुरानी पेंशन प्राप्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा की सरकार जनता के खून पसीने व टेक्स पेयर्स के पैसों से खड़े किए गए  बैंकों, बीमा,रेल, भेल सैल, कोयला खदानों, एयरपोर्ट, बंदरगाह, आयल कंपनियों का निजीकरण कर रही है। उन्होंने कहा कि मजदूरों के विरोध के बावजूद पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए श्रम कानूनों को रद्द कर चार लेबर कोड्स बना दिए गए हैं। किसानों के विरोध के बावजूद तीन असंवैधानिक कृषि कानून बना दिए गए हैं। किसानों के ऐतिहासिक विरोध को भी अनसूना किया जा रहा है। खाली पड़े लाखों की संख्या में पदों को पक्की भर्ती से भरकर बेरोजगारों को रोजगार देने की बजाय ठेके पर काम करवाया जा रहा है। नेशनल एजुकेशन पालिसी के मार्फत जन शिक्षा का निजीकरण किया जा रहा है। कर्मचारियों एवं पेंशनर्स के 18 महीने के डीए के बकाया एरियर का भुगतान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संविधान, संवैधानिक संस्थाओं, रोजगार,जन सेवाओं के विभागों, जनवादी एवं लोकतांत्रिक अधिकारों को बचाने के लिए धोषित आंदोलन को सफल बनाने और व्यापक एकता बनाकर निर्णायक आंदोलन का निर्माण करने का आह्वान किया। राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक में भाग ले रहे 26 राज्यों के प्रतिनिधियों ने आंदोलन के प्रस्ताव का पुरजोर समर्थन किया।

मीटिंग में यह रहें मौजूद।

बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा, महासचिव ए.श्रीकुमार, वित्त सचिव श्रीपाल सिंह भाटी, साहयक महासचिव बिजय शंकर सिन्हा,वाईस चेयरमैन ए.चन्द्र शेखर रेड्डी,एसपी सिंह, नटराजन, राजेंद्र, सतीश राणा, गोपाल दत जोशी,एनडी तिवारी, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री, उपाध्यक्ष सुरेश नौहरा, महिला नेत्री सुथपा हाजरा,राज लक्ष्मी, संगीता गायकवाड़, शोभा लोकनाज,शीजा,माहवा राय आदि मौजूद थे।

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