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उपेंद्र एक मजदूर है कभी काम मिलता है कभी नहीं। घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। इसके दो बच्चे सर्वोत्तम पब्लिक स्कूल सुभाष चौक नगला पार्ट 2 में पढ़ते हैं स्कूल प्रिंसिपल को इसने गत वर्ष ही बता दिया था कि उनके पास स्मार्टफोन नहीं है बच्चों की ऑनलाइन क्लास नहीं ली जा सकती है और वह स्कूल फीस देने में भी असमर्थ है इसीलिए अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना चाहता
है, मुझे टीसी दे दो लेकिन स्कूल ने टीसी नहीं दी। अब यह अपने बच्चों का दाखिला नगला गुजरान सरकारी स्कूल में कराना चाहता है लेकिन स्कूल संचालक टीसी नहीं दे रहा है। टीसी देने की एवज में 25 हजार रुपए मांगे जा रहे हैं कहा जा रहा कि इतने नहीं हैं तो कुछ तो दो।
यह कहानी अकेले उपेंद्र कि नहीं है। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कहा है मंच के पास रोजाना ऐसी ही चार पांच शिकायतें आती हैं। मंच द्वारा अभिभावकों के हित में उनका समाधान भी कराया जाता है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि जिन अभिभावकों ने गत वर्ष की पूरी ट्यूशन फीस मार्च 21 तक जमा करा दी है और अब वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाना चाहते हैं तो ऐसे अभिभावकों से भी स्कूल संचालक टीसी देने की एवज में पिछला और चालू एनुअल चार्ज और अप्रैल मई जून-जुलाई की ट्यूशन फीस मांगी जा रही है।
मंच स्कूल संचालकों के इस तानाशाही कार्रवाई की कठोर शब्दों में निंदा करता है। मंच ने जिला शिक्षा अधिकारी से यह मांग है कि ऐसे दोषी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए और पीड़ित अभिभावकों को बिना किसी शुल्क के टीसी दिलवाई जाए। वैसे भी शिक्षा अधिकार कानून के तहत किसी भी बच्चे को दाखिला देने से मना नहीं किया जा सकता चाहे उसके पास टीसी है या नहीं ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन आईपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट बीएस विरदी ने स्कूल संचालकों से कहा है टीसी की आड़ में गरीब पिछड़े अभिभावकों के बच्चों के जीवन से खिलवाड़ ना करें और उनको बिना कोई शुल्क लिए टीसी देकर मानवता का परिचय दें।
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