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मानसून सत्र में बिजली संशोधन विधेयक पारित हुआ तो बिजली गरीब व किसानों की पहुंच से बाहर हो जाएंगी

Posted by : pramod goyal on : Monday 12 July 2021 0 comments
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 फरीदाबाद,12 जुलाई। मानसून सत्र में बिजली संशोधन विधेयक पारित हुआ तो बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण हो जाएगा और बिजली गरीब व किसानों की पहुंच से बाहर हो जाएंगी।  यह आरोप इलेक्ट्रीसिटी इंप्लाईज फैडरेशन ऑफ इंडि


या के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने सोमवार को सराय ख्वाजा-मुथरा रोड़ सब डिवीजन पर आयोजित गेट मीटिंग को संबोधित करते हुए लगाया। उन्होंने इस विधेयक को राष्ट्रविरोधी, उपभोक्ता, किसान व कर्मचारी विरोधी बताते हुए इसका राष्ट्रीय स्तर पर डटकर विरोध करने का ऐलान किया है। गेट मीटिंग की अध्यक्षता सब यूनिट प्रधान मुकेश लांबा ने की। गेट मीटिंग में सर्व सम्मति से डीए व पुरानी पेंशन बहाली करने, ठेका प्रथा समाप्त कर कच्चे कर्मियों को पक्का करने, पक्का होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने व सरकारी विभागों के किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने आदि मांगों को लेकर 15 जुलाई को राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस पर डीसी आफिस पर होने वाले प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर शामिल होने का निर्णय लिया। गेट मीटिंग में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा के अलावा जिला प्रधान अशोक कुमार, कोषाध्यक्ष युद्धवीर सिंह खत्री, संगठन सचिव मुकेश बेनीवाल, एएचपीसी वर्कर यूनियन के वरिष्ठ नेता डालचंद शर्मा,मनोज जाखड़, विनोद कुमार, सर्कल सचिव कृष्ण कुमार, रामचरण पुष्कर, ओल्ड फरीदाबाद यूनिट के चेयरमैन कर्मचंद नागर, प्रधान करतार सिंह, सचिव देवेंद्र त्यागी, ग्रेटर यूनिट के प्रधान दिनेश शर्मा, सचिव असरफ अयूब, बल्लभगढ़ यूनिट के प्रधान रमेश चन्द्र तेवतिया,दर्शन सोया आदि मौजूद थे।


 फैडरेशन के उपाध्यक्ष व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा
कि केन्द्र सरकार इस प्रस्तावित बिजली संशोधन विधेयक 2021 को पारित कराने की जल्दबाजी करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने बताया कि विधेयक पास होने के उपरांत बिजली वितरण निगमों के समानांतर बिजली वितरण करने के लाइसेंस प्राईवेट कंपनियों को दिए जाएंगे। ऐसा करने से पहले निजी कंपनियों के मुनाफे सुनिश्चित करने के लिए बिजली वितरण निगम साधारण मीटरों को बदल कर समार्ट मीटर लगाएंगी। जिसके लिए 2250 हजार करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इतना ही नही बिजली वितरण सिस्टम को सुधारने के लिए तीन लाख करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च की जाएगी। इसके बावजूद निजी कंपनियों ग्रामीण क्षेत्र व ट्यूबवेलों को बिजली सप्लाई नहीं करेंगी। क्योंकि वह समाज सेवा के लिए नहीं आ रही है,वह केवल ओर केवल मुनाफा कमाने के लिए आ रही है। उन्होंने बताया कि विधायक पारित होने के बाद सब्सिडी व क्रास सब्सिडी खत्म होने से बिजली की दरों में ओर बढ़ोतरी होगी। जिसके कृषि व औद्योगिक क्षेत्र प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि मामूली शुल्क देकर प्राईवेट खिलाड़ी कर्मचारियों एवं जनता के खून पसीने व टेक्स पेयर्स के पैसों से खड़े किए बिजली नेटवर्क का उपयोग कर भारी मुनाफा बटोरने का काम करेंगे। आत्मनिर्भरता की बजाय प्राईवेट कंपनियों पर निर्भरता होगी। उन्होंने बताया कि बिजली वितरण कंपनियों का हाल बीएसएनएल की तरह होगा। कर्मचारियों एवं इंजीनियरों की नौकरी पर भी तलवार लटक जाएंगी। क्योंकि जब उपभोक्ता ही सर्विस प्रोवाइडर बदल लेंगे तो वितरण निगमों में कार्यरत कर्मचारियों को वेतन कहा से दिया जाएगा। प्राईवेट लाईसेंसी वितरण के कार्य को आगे फ्रैंचाइजी करेंगे और वह आगे पेटी कांट्रेक्ट देगी। जिसका अलग से लाइसेंस लेने की आवश्यकता नहीं होगी।

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