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हरियाणा के आठ तकनीकी संस्थानों को एनबीए और एनएएसी मान्यता दिलाने में मदद करेगा विश्वविद्यालय

Posted by : pramod goyal on : Friday 9 July 2021 0 comments
pramod goyal
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 फरीदाबाद, 9 जुलाई - हरियाणा के तकनीकी संस्थानों को एनबीए और एनएएसी प्रत्यायन जैसे गुणवत्ता मानकों को प्राप्त करने में सहयोग एवं मार्गदर्शन सेवाएं देने के लिए उद्देश्य से जे.सी. विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद ने आज एआईसीटीई की मार्गदर्शन योजना के तहत आठ तकनीकी संस्थानों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किये। एआईसीटीई की मार्गदर्शन योजना देश में त


कनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक पहल है। जे.सी. बोस विश्वविद्यालय प्रदेश का ऐसा पहला विश्वविद्यालय है जिसने राज्य में पॉलिटेक्निक स्तर पर तकनीकी संस्थानों को परामर्श सेवाएं देने की पहल की है। 

डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आयोजित एक समारोह में कुलपति प्रो. दिनेश कुमार, एआईसीटीई निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल कैलाश बंसल, सदस्य सचिव प्रो. राजीव कुमार और प्रो. आरपी दहिया की उपस्थिति में लाभार्थी संस्थानों के साथ जे.सी. बोस विश्वविद्यालय ने समझौते   हस्तांतरित किया। विश्वविद्यालय की ओर से समझौतों पर मार्गदर्शन योजना के मुख्य समन्वयक प्रो. विक्रम सिंह ने हस्ताक्षर किए।
विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वाले लाभार्थी संस्थानों (एमबीआई) में अरावली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट, फरीदाबाद द्रोणाचार्य कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गुरुग्राम, डीपीजी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, गुरुग्राम, एनजीएफ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, पलवल, सेंट एंड्रयूज इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, फारुख नगर (गुरुग्राम), राजकीय बहुतकनीकी संस्थान, सोनीपत, राजकीय बहुतकनीकी संस्थान, मानेसर तथा राजकीय बहुतकनीकी संस्थान, झज्जर शामिल हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कहा कि नैक और एनबीए जैसे मानक एजेंसियों द्वारा एक सूचित समीक्षा प्रक्रिया के माध्यम से किसी संस्थान का आवधिक मूल्यांकन उस संस्थान की ताकत और कमजोरियों को जानने तथा निर्धारित मापदंडों पर शिक्षा के मानक में सुधार का अवसर प्रदान करता है। जे.सी. बोस विश्वविद्यालय ने विभिन्न गुणवत्ता मूल्यांकन मापदंडों पर खुद को साबित तथा स्थापित किया है। इस समय विश्वविद्यालय के अधिकांश तकनीकी पाठ्यक्रमों को एनबीए से मान्यता प्राप्त हैं तथा विश्वविद्यालय को नैक मान्यता हासिल है। इसलिए, यह विश्वविद्यालय का दायित्व है कि मान्यता हासिल करने के इच्छुक तकनीकी संस्थानों एवं संबद्ध कालेजों को मार्गदर्शन और सहायता सेवाएं प्रदान करें ताकि ऐसे संस्थान एनबीए और नैक मान्यता के लिए आवश्यक गुणवत्ता मानकों को प्राप्त करने में सक्षम बन सके।
मार्गदर्शन योजना और इसके कार्यान्वयन के बारे में जानकारी देते हुए मुख्य समन्वयक प्रो. विक्रम सिंह ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य सदस्य संस्थानों के शिक्षण संबंधी तकनीकी उत्थान के लिए संकाय विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय स्तर की कार्यशालाएँ, अतिथि व्याख्यान और अन्य गतिविधियों का संचालन करना है। इस संबंध में एआईसीटीई ने विश्वविद्यालय को अनुदान प्रदान किया है।
विश्वविद्यालय द्वारा की गई पहल की सराहना करते हुए एआईसीटीई के निदेशक लेफ्टिनेंट कर्नल कैलाश बंसल ने मार्गदर्शन योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. राजीव कुमार ने कहा कि चूंकि जेसी बोस विश्वविद्यालय ने सभी गुणवत्ता मानकों को हासिल कर लिया है, इसलिए इसमें अन्य संस्थानों का मार्गदर्शन करने तथा विशेषज्ञता साझा की क्षमता है। तकनीकी संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार को एक चुनौतीपूर्ण कार्य बताते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय राज्य का एकमात्र सरकारी विश्वविद्यालय है जिसने बहुतकनीकी संस्थानों के स्तर पर तकनीकी संस्थानों का मार्गदर्शन करने का निर्णय लिया है तथा अन्य विश्वविद्यालयों को भी इस पहल के लिए आगे आना चाहिए।
प्रो. आरपी दहिया ने कहा कि वाईएमसीए संस्थान के रूप में स्थापना से विश्वविद्यालय गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने की एक लंबी परंपरा निभा रहा है। उन्होंने कहा कि एआईसीटीई ने तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं और विश्वविद्यालय को ऐसी सभी योजनाओं में भाग लेना चाहिए।

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