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पितृ दिवस - पिता के लिए कार्ड और डिजिटल फोटोफ्रेम बनाए

Posted by : pramod goyal on : Saturday 19 June 2021 0 comments
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 एन एच तीन फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में पितृ दिवस पर ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया जिस में बच्चों ने अपने अपने पिता के लिए विभिन्न प्रकार के कार्ड और फोटोफ्रेम बनाएं और उन्हें उपहार देकर सम्मानित किया। रविंद्र कुमार मनच


न्दा ने कहा कि पिता नारियल की तरह होते हैं। ऊपर से जितने सख्त अंदर से उतने ही नरम। जिंदगी में कभी किसी भी मोड़ पर आप मुसीबत में होते हैं तो पिता ही हैं जो सबसे पहले आपकी मदद को सामने आते है। समस्या चाहे जैसी भी हो पिता के पास हर चीज का हल होता है। पिता के इस प्यार का कोई मोल नहीं चुकाया जा सकता। पिता को धन्यवाद कहने के लिए ही फादर्स डे मनाया जाता है। 
जून महीने का तीसरा रविवार पिता को समर्पित है। हर वर्ष भारत समेत कई देशों में इस दिन पितृ दिवस मनाया जाता है और पिता के प्रति अपने सम्मान को प्रकट किया जाता है। जब हम अपनी संस्कृति के सन्दर्भ में देखते हैं तो नन्द बाबा का व्यक्तित्व मन-मष्तिष्क में सर्वप्रथम ज्वलंत हो उठता है। नन्द बाबा भगवान श्रीकृष्ण के पालक पिता थे। नन्द बाबा तथा उनकी पत्नी यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण और बलराम का बहुत ही प्रेम-दुलार के साथ पालन किया। रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा किहमारी जिंदगी में हमारे पिता एक पेड़ की छांव की तरह होते हैं। जब भी चिलचिलाती धूप के रूप में परेशानियां हमें सताती हैं तब छांव बनकर हमारे पिता हमें राहत दिलाते हैं। वैसे तो पिता अपने बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा देखकर बहुत खुश होते हैं परंतु छोटी छोटी खुशियां भी पिता और बच्चे के रिश्ते को और गहरा बना देती हैं। अपने पिता को इस दिन खुश करने के लिए उन्हें कार्ड, गिफ्ट और फूल दे कर इस दिवस को मेमोरेबल बना देते हैं। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि पिता ना ही केवल हमारे पिता हैं बल्कि एक रोल मॉडल, दोस्त, रक्षक, गाइड और हीरो भी हैं। जैसे माएं हमें जीवन देती हैं वैसे ही हमारे पिता हमें जिंदगी जीना सिखाते हैं। वह हमें परेशानियों से बचाते भी हैं और उनसे लड़ना भी सिखाते हैं। पिता का महत्व महज कुछ शब्दों में बयान करना असंभव है लेकिन हम उनके प्रति अपना प्रेम, सम्मान और इज्जत जरूर प्रकट कर सकते हैं। जूनियर रेडक्रॉस प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि मां का नाम सुनकर भावनात्मक होकर आंखें नाम हो जाती हैं तो दूसरी ओर पिता का स्मरण होते ही गर्व से सीना चौड़ा हो जाता है। क्योंकि एक पिता ही है जो सारी जिंदगी अपने बच्चों और परिवार के लिए मेहनत करता है, खून पसीना एक करके कमाई करता है ताकि उस के बच्चे और परिवार सुख से रह सके। कार्यक्रम की कॉर्डिनेटर प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर और प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने छात्रा हर्षिता, तबींदा, नेहा, निशा, खुशी, स्नेहा और आरती ने फोटोफ्रेम और ग्रीटिंग कार्ड्स बना कर तथा विभिन्न उपहार देकर पिता के प्रति आभार और सम्मान प्रकट किया।

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