HEADLINES


More

खोरी गांव के हजारों घरों को जमींदोज करने के विरोध में मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा

Posted by : pramod goyal on : Monday 14 June 2021 0 comments
pramod goyal
Saved under : , ,
//# Adsense Code Here #//


 फरीदाबाद 14 जून अरावली पर्वतमाला की तलहटी में बसे हुए खोरी गांव के हजारों घरों को जमींदोज करने के विरोध में आज वामपंथी पार्टियों के संयुक्त प्रतिनिधि मंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त कार्यालय के अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सीपीएम के जिला सचिव शिव प्रसाद एवं सीपीआई के जिला सचिव बेचू गिरी ने संयुक्त रूप से किया। प्रतिनिधिमंडल में दोनों पार्टियों के नेता मौजूद थे। जिसमें मुख्य रूप से विजय कुमार झा, वीरेंद्रसिंह डंगवाल, नवल सिंह, मिथिलेश कुमार, बैजू सिंह, दिनेश सिंह, बब्बन नंदा, दीपक झा आदि मुख्य रूप से शामिल रहे। प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से आग्रह किया है। कि जिला प्रशासन को अरावली की पहाड़ियों में पिछले 30 वर्षों से बसे हुए इस गांव को तब तक नहीं उजाड़ने के निर्देश दिए जाएं जब तक की वहां के निवासियों को दूसरी जगह पर बसाने की व्यवस्था प्रशासन नहीं कर देता है। यह कहना काबिले गौर होगा कि 1992 में यहां के क्रेशर जोन को पाली  और मोहताबद में शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन नगर निगम फरीदाबाद ने इस जमीन की देखभाल नहीं की। इस भूमि को जो दिल्ली के पहलादपुर और लाल कुआं से जुड़ी हुई है। इसी का फायदा भू माफिया ने उठाया। उन्होंने जिन लोगों को प्लॉट दिए उनसे यह कहा कि यह दिल्ली की जमीन है। इसमें दिल्ली प्रशासन सारी सुविधाएं देगा। धीरे धीरे मकानों को बनाने का सिलसिला आगे बढ़ता चला गया। कालांतर में निर्माण कार्य तेजी पकड़ता गया। इस तरफ प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया। नगर निगम फरीदाबाद के प्रशासन ने  वन विभाग के हवाले तो भूमि को कर दिया कर दिया। लेकिन इसकी निगरानी समय समय पर नहीं की गई। वन विभाग के अधिकारी यदा-कदा वहां पर जाते थे। लेकिन भू माफियाओं के हस्तक्षेप के कारण वहां पर वृक्षारोपण कार्य भी नहीं कर पाते। उनको भू माफिया डराते और धमकाते थे। और यहां से चले जाने के लिए कहते रहे। क्यों कि भू माफिया को वहां पर प्लॉट काटकर बेचना का काम करना था। नगर निगम के अधिकारी और जिला के राजस्व विभाग के अधिकारी इन पर लगाम लगाने में नाकामयाब रहे। इनकी लापरवाही की वजह से इतने बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य जारी रहा। किसी भी अधिकारी और कर्मचारी ने हस्तक्षेप नहीं किया। अब आनन-फानन में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के क्रियान्वयन के नाम पर वहां बसे हुए लोगों को बेघर करने की योजना बनाई जा रही है। शिष्टमंडल ने सरकार से आग्रह किया है कि विस्थापितों को कोरोना काल में जिनके पास किराए के मकान लेने के लिए भी पैसे नहीं हैं। उन्हें राहत कैंपों में बसाया जाए। और इनके लिए  पक्के मकान बनाए जाएं। जिला प्रशासन भू माफिया के खिलाफ कार्रवाई करे। जिन्होंने गरीबों के साथ धोखाधड़ी की। रजिस्ट्री का झांसा देकर यहां पर प्लॉट बेचते रहे। इस तरह से यहां पर निर्माण कार्य जारी रहा जिसको सरकार आज अवैध घोषित कर रही है। जबकि इस निर्माण कार्य को नगर निगम के अधिकारियों की नाक के नीचे होते देखा गया। लेकिन नगर निगम ने अपनी आंखें बंद कर ली। अधिकारियों की मिलीभगत की वजह से आज वहां के लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि सरकार के द्वारा सड़कों का निर्माण किया गया है। वर्तमान में केंद्रीय समाज और अधिकारिता न्याय मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर जी के द्वारा सड़क निर्माण किए गए हैं। इनके नाम का बोर्ड वहां पर लगा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के पदाधिकारियों के नाम पर बोर्ड वहां लगे हुए हैं। लेकिन अब जब प्रशासन के अधिकारी तोड़फोड़ करने के लिए जा रहे हैं। तो सत्ताधारी पार्टी  के युवा मोर्चा के नेता वहां पर नहीं दिखाई देते हैं। आज  इस खाली भूमि में आवासीय परिसर विकसित हो गया तो सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के तहत उसे तोड़ने के आदेश दिए गए हैं। प्रतिनिधिमंडल ने सरकार से वहां के निवासियों की नाजायज गिरफ्तारी पर तत्काल रोक लगाने की मांग भी की है।उन्होंने कहा कि यदि तोड़फोड़ की कार्रवाई पर रोक नहीं लगी तो आंदोलन को तेज किया जाएगा।

No comments :

Leave a Reply