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कम छात्र संख्या वाले सरकारी स्कूल किए गए बंद व मर्ज, फरीदाबाद के भी चार स्कूल शामिल

Posted by : pramod goyal on : Sunday 9 May 2021 0 comments
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 शिक्षा विभाग ने राज्य के 11 जिलों में 10 से कम छात्र संख्या वाले  41 सरकारी प्राइमरी व 5 मिडिल स्कूलों को बंद कर दिया गया है। इसके अलावा 25 से कम संख्या वाले 175 प्राइमरी व 51 मिडिल स्कूलों को पास के सरकारी स्कूलों में मर्ज करके उनमें अब एक ही अध्यापक को पढ़ाई कराने के आदेश जारी किए हैं उस स्कूल के शेष अध्यापकों को नजदीक के स्कूलों की रिक्त स्थानों पर पोस्टेड किया जाएगा। फरीदाबाद जिले में भी ऐसे 4 प्राइमरी स्कूल प्रहलादपुर आवास कॉलोनी, दयालपुर, अहमदपुर व लेहं


डोला शामिल हैं। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कहा है कि यह तो अभी शुरुआत है अगर सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या नहीं बढ़ी तो आगे और स्कूलों को भी बंद कर दिया जाएगा। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सरकार खुद ही नहीं चाहती है कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी हो। शिक्षा मंत्री ने कई बार आदेश निकलवाए हैं कि सरकारी स्कूलों में बिना एसएलसी टीसी के छात्रों का दाखिला कराया जाएगा लेकिन अगले ही दिन प्राइवेट स्कूल संचालकों के दबाव में उन्होंने यू-टर्न लेते हुए अपने आदेशों को वापस ले लिया ऐसा उन्होंने तीन बार किया है। मंच के जिला सचिव डॉ मनोज शर्मा ने कहा कि शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए जितनी भी कार्य योजना बनाता है वह सब कागजी होती हैं। धरातल पर कोई ठोस काम नहीं होता है। स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारी भी फील्ड में उतर कर कोई भी ठोस कार्य नहीं करते हैं वे सिर्फ जो भी सर्कुलर व आदेश शिक्षा विभाग पंचकूला से आते हैं उन्हें वे अपने अधीन ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के पास भेज देते हैं और वे आगे स्कूलों को भेज देते हैं।उन पर अमल हो रहा है या नहीं इसको कोई नहीं देखता है। मंच ने इस बात पर अधिक चिंता जाहिर की है कि प्रिंसिपल व हेड मास्टर भी छात्रों की संख्या बढ़ाने में उदासीन रुख अपनाते हैं। कई बार देखा है कि जब भी कोई अभिभावक खासकर  झुग्गी झोपड़ी व कॉलोनी में रहने वाला अपने बच्चे का दाखिला कराने के लिए सरकारी स्कूल में जाता है तो उसके साथ रूखा व्यवहार किया जाता है और तरह-तरह के कागज लाने के लिए परेशान किया जाता है। सरकारी स्कूल में दाखिला न होने पर अभिभावक मजबूरी बस प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाता है और उनकी महंगी फीस को सहन करता है। मंच ने सभी प्रिंसिपल, हेडमास्टर व सभी अध्यापक संगठनों से अपील की है कि वे आगे आकर के सरकारी शिक्षा को बचाएं। स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाएं जिससे आगे से कोई और स्कूल बंद ना हो। इस कार्य में मंच उनकी पूरी मदद करेगा।

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