HEADLINES


More

अध्यापकों को प्राइवेट स्कूलों के शोषण से बचाने के लिए बने केंद्रीय कानून - आईपा

Posted by : pramod goyal on : Friday 16 April 2021 0 comments
pramod goyal
//# Adsense Code Here #//

 ऑल इंडिया पेरेंट्स  एसोसिएशन आईपा ने कहा है कि पूरे देश में गैर अनुदान व मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों में कार्यरत  अध्यापक व कर्मचारियों के कल्याण व उनकी सर्विस की सिक्योरिटी के लिए एक केंद्रीय कानून बनाया जाए।

आईपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने इस कानून के संबंध में "अनएडिट प्राइवेट स्कूल सिक्योरिटी ऑफ सर्विस टू इंप्लाइज बिल 2021" नाम से एक ड्राफ्ट बनाया है। जिसे शुक्रवार को आम जनता के लिए जारी करते हुए उस पर शिक्षाविदों, समाजसेवियों, कानूनविदों, से 25 अप्रैल तक महत्वपूर्ण सुझाव व विचार देने को कहा है। आईपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि प्राप्त सुझाव व विचारों को ड्राफ्ट में शामिल करके एक फाइनल ड्राफ्ट प्रधानमंत्री को उचित कार्रवाई करने के अनुरोध के साथ भेजा जाएगा। ड्राफ्ट की प्रति सभी संसद सदस्यों को भेजकर उनसे लोकसभा

व राज्यसभा में ड्राफ्ट पर चर्चा कराने व उसमें लिखी बातों पर  केंद्रीय कानून बनवाने में मदद करने की गुहार लगाई जाएगी।
अशोक अग्रवाल व कैलाश शर्मा ने कहा है कि इस समय प्राइवेट स्कूलों में कार्यरत अध्यापक व कर्मचारियों के कल्याण व  उनकी नौकरी की सुरक्षा के लिए कोई भी वैधानिक कानून नहीं है जिसके कारण ही प्राइवेट स्कूल संचालक अपने अध्यापक व कर्मचारियों का पूरी तरह से आर्थिक, मानसिक व शारीरिक शोषण कर रहे हैं। अपनी बनाई गई शर्तों पर उनको नौकरी पर रखते हैं, स्थाई वेतनमान न देकर अपनी मर्जी से तनखा देते हैं, बिना किसी उचित कारण से नौकरी से निकाल देते हैं और तनख्वाह कम देते हैं जबकि हस्ताक्षर  ज्यादा पर कराते हैं।
इन सब बातों को रोकने के लिए केंद्रीय कानून का बनना बहुत जरूरी है इस कानून में किन बातों को शामिल किया जाए इसके लिए ही आईपा की ओर से यह विस्तृत ड्राफ्ट बनाया गया है। वरिष्ठ एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय ने 2002 में केन्द्र सरकार से कहा था कि प्राइवेट कॉलेज में स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों व कर्मचारियों के कल्याण व उनकी समस्याओं के समाधान के लिए केंद्र व प्रत्येक राज्य में एक ट्रिब्यूनल बनाया जाए जिसको व्यापक अधिकार मिले कि जांच के बाद यह साबित हो जाए कि प्राइवेट स्कूल संचालकों ने अपने अध्यापक व कर्मचारियों के साथ ज्याजती व अन्याय किया है तो उस स्कूल के खिलाफ वह कठोर कार्रवाई कर सके। उच्चतम न्यायालय के इस निर्देश को ध्यान में रखकर भी यह ड्राफ्ट बनाया गया है। अशोक अग्रवाल ने कहा है कि प्रधानमंत्री को ड्राफ्ट भेजने के बाद अगर उस पर केंद्र सरकार ने कोई उचित कार्रवाई नहीं की तो फिर उच्चतम न्यायालय का सहारा लिया जाएगा।

No comments :

Leave a Reply