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फरीदाबाद,14 मार्च -
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने आरोप लगाया है कि सरकार के एजेंडे में कर्मचारी और उनके लंबित मुद्दे नहीं है। इसलिए बजट में कर्मचारियों की लंबित मांगों की पूरी तरह अनदेखी की गई। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए बजट में कर्मचारियों के लंबित मुद्दों को संबोधित न करने की घोर निन्दा की है। उन्होंने कहा कि सोमवार को आयोजित निजीकरण विरोधी दिवस पर रेलवे स्टेशनों पर किए जाने वाले प्रदर्शनों में कर्मचारियों व मजदूरों की मांगों की उपेक्षा का मामला जोरदार तरीके से उठाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अगर कर्मचारियों के लंबित मुद्दों को संबोधित नहीं किया गया तो कर्मचारी आंदोलन तेज करने पर मजबूर होंगे। उन्होंने कांग्रेस व निर्दलीय विधायकों द्वारा उनको दिए ज्ञापनों के बावजूद अभी तक बजट सत्र में कर्मचारियों के मुद्दों को न उठाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कोरोना योद्धा कहें जाने वाले कर्मचारियों की अब छंटनी की जा रही है और उन्हें 6 से लेकर 11 महीने तक वेतन नहीं मिल पा रहा है।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शनिवार को यहां बताया कि ऐसा लगता है कि कर्मचारी और उनके मुद्दे सरकार के एजेंडे में नहीं है। उन्होंने बताया कि सीएम द्बारा शुक्रिया को पेश किए बजट में ठेका प्रथा समाप्त कर ठेका कर्मियों को बिचौलियों व शोषण से मुक्ति दिलाने, कच्चे कर्मियों को पक्का करने की नीति बनाने, पक्का होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने, केरल सरकार की तर्ज पर डीए बहाली करने, एनपीएस रद्द कर पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने व जन सेवाओं के किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने आदि मांगों पर बजट में कुछ भी नहीं कहा गया है। उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत आईसीडीएस सुपरवाइजरों, सीडीपीओ,पीओ, आंकड़ा साहयकों को पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। इसी प्रकार जन स्वास्थ्य विभाग में पंचायती पंप आपरेटरों को 11 महीने, हरियाणा टूरिज्म निगम के कर्मचारियों को करीब 6 महीने से और मेवात माडल स्कूलों में 6 महीने से वेतन नहीं मिला है। बजट में बकाया वेतन देने पर भी एक शब्द नही कहा गया है। जिससे कर्मचारियों को भारी निराशा हाथ लगी है। उन्होंने बताया कि बजट में बर्खास्त पीटीआई सहित छंटनी किए गए हजारों कर्मचारियों को वापस ड्यूटी पर लेने पर भी चुप्पी साध ली गई है। उन्होंने बताया कि बजट में पीपीपी मॉडल के माध्यम से सरकारी विभागों में तेजी से निजीकरण करने का रास्ता प्रशस्त किया गया है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक शिक्षा को प्ले स्कूल के बहाने आंगनबाड़ी व एनजीओ के हवाले की जा रहा है। शिक्षा के बजट में बढ़ोतरी करने की बजाय करीब 1200 करोड़ कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि खाली पड़े पदों को भरकर बेरोजगारों को रोजगार देने और नए स्कूल खोलने की बजाय निजीकरण पर जोर दिया गया है।
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