फरीदाबाद 18 फरवरी जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में कार्यरत पंचायती पंप ऑपरेटर एक साल से वेतन के लिए तरस रहे हैं।इन कर्मचारियों को गत वर्ष फरवरी माह में ही वेतन मिला था। तब से लेकर 12 महीने बीत गए इन्हें जल वितरण के कार्य को पूरा करने की एवज में प्रतिमाह मिलने वाले मात्र 4629 रुपए का भुगतान भी सरकार नहीं कर रही है। इन्हें मिलने वाला वेतन न्यूनतम वेतन की राशि से बहुत कम है। यह जानकारी यूनियन के पूर्व प्रांतीय प्रधान एवं सीटू के जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने यहां से जारी एक बयान में दी। उन्होंने कहा कि ये कर्मचारी दो विभागों के पाटों के बीच पिस रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह अजीब विडंबना ही है। ग्रामीण अंचलों में वाटर सप्लाई जैसे महत्वपूर्ण कार्य को करने वाले इन कर्मचारियों को सबसे कम मानदेय मिल रहा है। उसका भी भुगतान एक साल से से नहीं किया जा रहा है। जब इस बारे में जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि इनके वेतन का भुगतान बीडीपीओ के कार्यालयों से होना है। जब खंड विकास एवं पंचायत विभाग के अधिकारी से संपर्क स्थापित किया गया। तो उन्होंने कहा कि पर्याप्त मात्रा में बजट नहीं होने के कारण इनका वेतन वितरित नहीं हो रहा है। जबकि वास्तविकता कुछ और है। दोनों विभागों के अधिकारी अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। उन्हें गरीब और कर्मठ मजदूरों की मजदूरी की अदायगी से कुछ भी लेना देना नहीं है। इस विषय को दोनों विभागों के अधिकारी गंभीरता से नहीं लेते हैं। जबकि इन विभागों के आधीन सभी प्रकार के निर्माण और मेंटेनेंस के कार्य चल रहे हैं। इन कार्यों के लिए अधिकारियों के पास पर्याप्त मात्रा में बजट रहता है। लेकिन निम्न वेतन भोगी वर्ग के लिए बजट नहीं होने का बहाना बनाया जाता है। असल में यहां पर दोनों विभागों के अधिकारियों के बीच तालमेल का अभाव भी दिखाई दे रहा है।
हकीकत में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख अभियंता ने विगत वित्तीय वर्ष के आरंभ में ही वाटर सप्लाई के बजट को निर्देशक पंचायत विकास विभाग को ट्रांसफर कर दिया था। लेकिन इस विभाग के डीडीपीओ और बीडीपीओ ने उन पंचायतों का सर्वे ठीक से नहीं किया। जिनके नलकूपों का रखरखाव जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा किया जा रहा है। लेकिन वहां पर ट्यूबवेल ऑपरेटर पंचायत के द्वारा लगाए गए हैं। जब यूनियन ने इस विषय पर ध्यान दिया। तो इसमें अनेक प्रकार की त्रुटियां पाई गई। पंचायत विभाग ने ऐसे लोगों को पंप ऑपरेटरों समझ कर वेतन दे दिया जिन्होंने विभाग में काम ही नहीं किया। पंचायत एवं विकास विभाग के अधिकारियों की दोषपूर्ण कार्य प्रणाली की वजह से उन पंचायती ट्यूबल ऑपरेटरों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जो बरसों से गांव के जल वितरण के कार्यों को कर रहे हैं। डंगवाल ने कहा कि वर्ष 2006 में भी पंचायती राज को मजबूती प्रदान करने के नाम पर वाटर सप्लाई को पंचायतों को देने का यूनियन ने विरोध किया था। क्योंकि यह कार्य परंपरागत रूप से जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग का ही है। इसलिए इस कार्य को पंचायतों को हस्तांतरित करने से सरकार को राजस्व का नुकसान होगा। इसलिए वाटर सप्लाई और सीवरेज को पंचायतों तथा नगर निगम और नगर पालिकाओं को देने का यूनियन शुरू से ही विरोध कर रही थी। लेकिन सरकार की नीतियों की वजह से इस काम को पूरा करने वाले कर्मचारियों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पंचायत एवं विकास विभाग के द्वारा इन कर्मचारियों को न तो पहचान पत्र दिए जा रहे हैं।इसके अलावा इनको ईएसआई और भविष्य निधि का लाभ भी नहीं मिल रहा है। इस लिए यूनियन ने तीनों विभागों की बुनियादी समस्याओं का समाधान करने के लिए कल 17 फरवरी को उपायुक्त कार्यालय पर श्री अतर सिंह जिला प्रधान की अध्यक्षता में धरना देकर प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम 12 सूत्री मांगों का ज्ञापन तहसीलदार को सौंपा था। और यूनियन ने सरकार को 13 मार्च तक मांग पत्र में लिखी मांगों को पूरा करने समय दिया था इसके बाद 14 मार्च से प्रदेश के मुख्यमंत्री के गृह जिले में बेमियादी आंदोलन आरंभ करने की चेतावनी भी दी है।
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