हरियाणा में 8 साल पहले निकली PGT की पोस्ट पर चयनित हो चुके डीम्ड यूनिवर्सिटी के आवेदकों के मामले में शुक्रवार को नया मोड़ आ गया। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने इन्हें नियुक्ति देने का आदेश दिया था। 5 साल बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई और सरकार को उस आदेश को लागू करने को कहा। शुक्रवार को इस मामले में सरकार की तरफ से जस्टिस अरुण मोंगा की अदालत में रिव्यू पिटीशन लगाई गई है। हालांकि फिल
हाल कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 फरवरी को होगी।
बता दें कि 2012 में निकली PGT की भर्ती में चयनित हो चुके सैकड़ों आवेदकों को केवल इसलिए नियुक्ति नहीं दी गई थी कि उनकी डिग्री डीम्ड यूनिवर्सिटी से थी। इस मामले को लेकर अभ्यर्थी हाईकोर्ट में चले गए। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने 22 मई 2015 को डीम्ड यूनिवर्सिटी डिग्री धारकों को सशर्त नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार ने डबल बैंच में LPA दायर कर दी थी। फिर 19 अगस्त 2019 को सरकार ने अपनी याचिका वापस ले ली थी, लेकिन बावजूद इसके चयनित PGT को नियुक्ति अब तक नहीं दी गई। इन अभ्यर्थियों में IASI यूनिवर्सिटी राजस्थान, बेंगलुरु यूनिवर्सिटी, विनायक मिशन यूनिवर्सिटी तमिलनाडु और JRN विद्यापीठ यूनिवर्सिटी राजस्थान से स्नातकोत्तर करने वाले आवेदक शामिल हैं। इन यूनिवर्सिटी से डिग्री करने वाले आवेदकों की जांच भी छह साल पहले करवाई गई थी, जिसमें डिग्री सही पाई गई थी।
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