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फरीदाबाद 11जनवरी - मजदूर विरोधी चार लेबर कोडस, खेती व खाद्य सुरक्षा को बर्बाद करने वाले तीन कृषि कानूनों रद्द हों।इनके विरोध में कल 12 जनवरी को उपायुक्त कार्यालय की हजारों मजदूर-कर्मचारी घेराबंदी करेंगे।
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन सीटू
जिला कमेटी फरीदाबाद ने कल की घेराबंदी की तैयारी पूरी की। यह जानकारी सीटू जिला केंद्र की बैठक में जारी मीटिंग में दी गई। अध्यक्षता जिला प्रधान निरंतर पराशर ने की। संचालन जिला सचिव लालबाबू शर्मा ने किया। अवसर पर जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल,उप प्रधान विजय झा और कामगार यूनियन के प्रधान वीरेंद्र पाल भी उपस्थित रहे। बैठक में घेराबंदी के लिए जोरदार तैयारियां की समीक्षा की गई हैं। यूनियन के नेताओं ने बताया कि पहले सरकार ने सावर्जनिक क्षेत्र को बर्बाद किया है। अब खेती व खाद्य सुरक्षा को उजाड़ने के लिए तीन कृषि कानून पारित कर दिए। लाखों किसान-मजदूर करीबन डेढ महीने से दिल्ली के चारों और डेरा डाले बैठे हैं। लेकिन सरकार उनके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रही है। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा देश-विदेश के चन्द उद्योगपतियों के मुनाफों के लिए ऐसा किया जा रहा है। चार लेबर कोड्स के नाम पर संसद में जो कानून पारित किए हैं वे मजदूरों को गुलाम बनाने वाले हैं। इनके खिलाफ निर्णायक आन्दोलन चल रहा है। संगठन नेताओं ने कहा कि विभागीय स्तर पर भी आन्देालन चल रहे हैं लेकिन सरकार मांगों का समाधान नहीं कर रही है। हमारी मांग है कि न्यूनतम वेतन कम से कम चौबीस हजार रूपए हो, परियोजना वर्कर्स समेत तमाम विभागों में कार्यरत कच्चे कर्मियों को स्थाई किया जाए, निर्माण मजदूरों को बोर्ड से सुविधाएं मिले व 90 दिन की शर्त खत्म हो। मनरेगा में 200 दिन काम व 700 रूपये मजदूरी तय की जाए।
जिला कमेटी फरीदाबाद ने कल की घेराबंदी की तैयारी पूरी की। यह जानकारी सीटू जिला केंद्र की बैठक में जारी मीटिंग में दी गई। अध्यक्षता जिला प्रधान निरंतर पराशर ने की। संचालन जिला सचिव लालबाबू शर्मा ने किया। अवसर पर जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल,उप प्रधान विजय झा और कामगार यूनियन के प्रधान वीरेंद्र पाल भी उपस्थित रहे। बैठक में घेराबंदी के लिए जोरदार तैयारियां की समीक्षा की गई हैं। यूनियन के नेताओं ने बताया कि पहले सरकार ने सावर्जनिक क्षेत्र को बर्बाद किया है। अब खेती व खाद्य सुरक्षा को उजाड़ने के लिए तीन कृषि कानून पारित कर दिए। लाखों किसान-मजदूर करीबन डेढ महीने से दिल्ली के चारों और डेरा डाले बैठे हैं। लेकिन सरकार उनके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रही है। केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा देश-विदेश के चन्द उद्योगपतियों के मुनाफों के लिए ऐसा किया जा रहा है। चार लेबर कोड्स के नाम पर संसद में जो कानून पारित किए हैं वे मजदूरों को गुलाम बनाने वाले हैं। इनके खिलाफ निर्णायक आन्दोलन चल रहा है। संगठन नेताओं ने कहा कि विभागीय स्तर पर भी आन्देालन चल रहे हैं लेकिन सरकार मांगों का समाधान नहीं कर रही है। हमारी मांग है कि न्यूनतम वेतन कम से कम चौबीस हजार रूपए हो, परियोजना वर्कर्स समेत तमाम विभागों में कार्यरत कच्चे कर्मियों को स्थाई किया जाए, निर्माण मजदूरों को बोर्ड से सुविधाएं मिले व 90 दिन की शर्त खत्म हो। मनरेगा में 200 दिन काम व 700 रूपये मजदूरी तय की जाए।
सीटू के जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने कहा कि इन मांगो के प्रचार के लिए जिला भर में जत्थे चलाकर गावों तथा शहर की बस्तियों में मजूदरों-किसानों की सभाओं को संबोधित किया गया है। कल12 जनवरी को जिला के उपायुक्त कार्यालय की घेराबंदी में सैंकड़ो मजदूर-कर्मचारी व किसान भाग लेंगे। यूनियन की मांगे निम्न प्रकार हैं
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