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12 जनवरी को उपायुक्त कार्यालय घेराव और जेल भरो आंदोलन के लिए सभाएं की गई

Posted by : pramod goyal on : Friday 8 January 2021 0 comments
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 फरीदाबाद 8 जनवरी  आगामी 12 जनवरी को उपायुक्त कार्यालय फरीदाबाद के घेराव और जेल भरो आंदोलन में  शामिल होने के लिए शीला खेड़ी, पावटा, मोहताबाद ,और पाखल गाव  में किसानों के आंदोलन में भाग लेने के आह्वान को लेकर सभाएं की गई। यह जानकारी देते हुए सीटू जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने कहा कि इन सभाओं में किसानों ने


भाजपा की केंद्र सरकार पर किसानों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया  कि सरकार किसानों की तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग लागू करने के बजाए बैठकों का आयोजन करके समय बर्बाद कर रही हैं। पहले सरकार ने लोकसभा में पूर्ण बहुमत के बल पर तीन अध्यादेशों को कानूनी रूप प्रदान कर दिया। जबकि उच्च सदन राज्यसभा में ध्वनि मत से इन बिलों को पास करवा दिया गया। तब सरकार ने देश के किसान से इन कानूनों को लागू करने से होने वाले लाभ और नुकसान की जानकारी लेने की आवश्यकता महसूस नहीं की। अब किसानों को भ्रमित करने के लिए अनाप-शनाप बयानबाजी की जा रही है। जब देश का किसान इन कानूनों को नहीं चाहता है। तो सरकार उनकी इच्छा के विरुद्ध कानून क्यों बना रही है। देश में खेती बाड़ी को देसी विदेशी पूंजीपतियों के हवाले करने की केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ देश का मजदूर किसान एक साथ संघर्ष कर रहा है। इसी कड़ी में आगामी 12 जनवरी  को बड़ी संख्या में किसान मजदूर उपायुक्त कार्यालय का घेराव और जेल भरो आंदोलन में भाग लेंगे। आज की सभा को ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के राज्य प्रधान देवी राम जिला प्रधान दिनेश पाली ने भी संबोधित किया। दोनों नेताओं ने बताया कि ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन का प्रत्येक सदस्य इन तीन  कानूनों के खिलाफ संघर्ष के मैदान में है। उन्होंने कहा कि इन कृषि कानून के खिलाफ यूनियन गांव गांव में जन जागरण अभियान चलाएगी। इसके लिए कल मिर्जापुर, नीमका और मुझेडी में भी सभाएं की जाएंगी। डंगवाल ने बताया तीनों कृषि कानूनो की समाप्ति की मांग को लेकर  देश के किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 43 दिनों से डटे हुए हैं। जबकि लगातार  बारिश  हो रही है। कड़ाके की ठंड  बढ़ रही है। फिर भी किसानों के हौसले बुलंद हैं। लेकिन सरकार उनकी मांगों को लागू करने की बजाए टाल मटोल की नीति अपना रही है।तीन कानूनों के लागू होने से जहां किसान के पास भूमि नहीं रहेगी। वहीं दूसरी तरफ मजदूरों को भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। क्योंकि खेती-बाड़ी से ही देश की जनता को खाद्यान्न मिलता है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को बीपीएल, एपीएल पर जो राशन मिलता है वह बंद हो जाएगा। क्योंकि  नए कृषि कानूनों में सरकारी एजेंसियां गेहूं, धान, दलहन, बाजरा, चीनी, तेल, चावल, दाल, इत्यादि वस्तुओं को नहीं खरीदेंगे। तब सरकारी खरीद नहीं होगी तब सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबों को राशन कहां से मिलेगा। क्योंकि निजी खरीद एजेंसियां गरीबी रेखा के नीचे जीने वालों के लिए अनाज का भंडारण नहीं करें गी। इसलिए सबसे भारी नुकसान गरीब मजदूरों को होगा। आज की सभा को ओम प्रकाश , नरेश, और भजनलाल ने भी संबोधित किया।


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