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फरीदाबाद 23जनवरी -
सीटू जिला कमेटी फरीदाबाद ने सेक्टर 12 ओपन एयर थिएटर में नेता जी सुभाष चंद्र बोस की125 जयंती मनाई।इस अवसर पर सबसे पहले नेता जी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर पर माल्यार्पण किया गया। उसके बाद सभी लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित करके उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर आयोजित की गई सभा को संबोधित करते हुए सीटू के जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने बताया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कहानी संघर्ष की कहानी है। उन्होंने देश की आजादी के लिए उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की। नेता जी की एक आवाज पर हजारों लोगों ने अपने प्राण न्योछावर कर दिए। अंग्रेजो के खिलाफ देखते ही देखते उन्होंने पूरी फौज खड़ी कर दी। उन्होंने ही जय हिंद का नारा दिया था। नेताजी सुभाष चंद्र का जन्म 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा के कटक में हुआ था। इनके पिता का नाम जानकी नाथ बोस था। और माताजी प्रभावती देवी थी। इनके पिता जी कटक शहर के मशहूर वकील थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा कटक में हुई थी उच्च शिक्षा कोलकाता में हुई। इसके बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिए इनको कैंब्रिज विश्वविद्यालय इंग्लैंड भेजा गया। नेता जी ने 1920 में आई सी एस भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा पास की। लेकिन स्वतंत्रता के आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए इन्होंने नौकरी छोड़ दी। इसके बाद देश की आजादी के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए।उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन को दिल से अंगीकार ही नहीं किया। बल्कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा देकर खुद आजादी की प्रेरणा बन गए। नेताजी सुभाष चंद्र बोस क्रांतिकारी दल के नेता थे। नेताजी का मानना था। कि अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए सशक्त क्रांति की आवश्यकता है। लेकिन महात्मा गांधीजी अहिंसक आंदोलन में विश्वास रखते थे। वर्ष 1938 में नेताजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उन्होंने फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना भी की। सुभाष चंद्र बोस की अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, तमिल, तेलुगू, गुजराती, और पश्तो भाषा पर मजबूत पकड़ थी।आजाद हिंद फौज में इन भाषाओं के माध्यम से पूरे देश की जनता से संवाद करते रहे। और संदेश भी देते रहे। नेताजी का अपने सहयोगियों के लिए संदेश था। सफलता का दिन दूर हो सकता है। लेकिन उसका आना अनिवार्य है। वह कहा करते थे। कि जिस व्यक्ति के अंदर इच्छा शक्ति नहीं होती है। वह कभी महान नहीं बन सकता है। नेताजी भारत में रहकर 11 बार जेल गए। मगर उन्होंने दुनिया के तमाम शीर्ष नेताओं से मिलकर अपना उद्देश्य पाने की इच्छा को कभी नहीं छोड़ा। भारतीय नेतृत्व को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने में सुभाष चंद्र बोस का बहुत बड़ा योगदान रहा है। सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता के लिए संघर्ष भारत की ही नहीं बल्कि तीसरी दुनिया के तमाम देशों के लिए प्रेरित साबित हुआ। दूसरे विश्व युद्ध के बाद अगले 15 वर्षों में 3 दर्जन एशियाई देशों में आजादी के तराने गाए गए। यही उन्हें दुनिया के स्तर पर आजादी का नायक स्थापित करता है। उनके द्वारा किए गए महान कार्य की वजह से ही पूरा देश आज उन्हें याद करता है। हमें उनके द्वारा किए गए कार्यों से प्रेरणा लेकर जनहित के कार्य करने चाहिए। यही हमारी उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता सीटू के जिला प्रधान निरंतर पराशर ने की। कार्रवाई का संचालन जिला सचिव लालबाबू शर्मा ने किया। इस अवसर हुड्डा जन स्वास्थ्य कर्मचारी यूनियन 1266 के सर्कल सचिव धर्मवीर वैष्णव, हवा सिंह, विजय झा, शिवप्रसाद, के पी सिंह, सुधा पाल, हेमलता, कमलेश चौधरी, मनोज, जिले सिंह, जीनत जमाल, लालाराम, पूर्ण दहिया, राजकुमार, रामकिशोर, दीपक, अरविंद कुमार, मुकेश भडाणा, भी उपस्थित रहे।
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