फरीदाबाद 30 दिसंबर हरियाणा गवर्नमेंट पीडब्ल्यूडी मैकेनिकल वर्कर्स यूनियन जिला कमेटी फरीदाबाद ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करने,न्यूनतम समर्थन मूल्य को बहाल करने बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांगों को लेकर आज बुधवार को किसानों के आंदोलन के समर्थन में कैनाल कॉलोनी परिसर में गेट मीटिंग का आयोजन किया। इस मीटिंग की अध्यक्षता जिला प्रधान अतर सिंह ने की जबकि संचालन सिंचाई ब्रांच के सचिव देवी सिंह कर रहे थे। इस मौके पर यूनियन के पूर्व प्रधान और सीटू के जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल तथा सिंचाई लिपिक एसोसिएशन के हरीश नागपाल ने अपने विचार व्यक्त की उन्होंने सरकार पर किसानों की उचित मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना काल में कृषि कानूनों को बदलकर देश के अन्नदाता ओं के साथ अन्याय किया है। देश के लाखों किसान पिछले एक महीने से दिल्ली के चारों तरफ सड़कों पर रुके हुए हैं। दिसंबर की इस कड़कड़ाती ठंड में जब घर में सर्दी से बचाव करना मुश्किल हो जाता है। तब बुजुर्ग और बच्चे महिलाओं सहित खुले आसमान के नीचे अपनी रातें काटने पर मजबूर हैं। लेकिन केंद्र में बैठी सरकार किसानों की समस्याओं को सुनने के लिए तैयार नहीं है। खेती के बारे में कानून किसानों के हित में बता गुमराह कर रही है। इन कानूनों के खिलाफ देश के मजदूर संगठनों ने 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल की थी।
किसान संगठनों ने 26 और 27 नवंबर को दिल्ली चलो का नारा दिया था। लेकिन अपने ही देश के नागरिकों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए भाजपा की सरकार ने घटिया हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए। किसानों के ऊपर पानी की बौछार ,आंसू गैस के गोले छोड़े और नेशनल हाईवे पर बड़ी-बड़ी खाई खोदकर कटीले तार लगाकर बड़े-बड़े पत्थरों से अवरोध खड़े कर दिए गए। लेकिन इन तमाम बाधाओं को पार करके लाखों किसान दिल्ली की सीमा पर पहुंचने में कामयाब हुए। इसके बावजूद भी सरकार इन तीन कानूनों को जो चंद बड़े-बड़े पूंजी पतियों के लिए लाए गए हैं। वापस नहीं लेना चाहती है। इन कानूनों में सरकार ने किसानों की फसल की सरकारी खरीद अनाज के भंडारण सरकारी मंडी से पल्ला झाड़ लिया है। प्राइवेट मंडी होगी। और किसान की फसल का रेट व्यापारी तय करेंगे यदि अनाज की सरकारी खरीद और भंडारण ही नहीं होगा। तो इसका सीधा अर्थ है। कि मजदूरों और भूमिहीन परिवारों को राशन डिपो पर मिलने वाला राशन बंद हो जाएगा।इसके चलते देश में पहले से ही भूखमरी और कुपोषण की स्थिति और ज्यादा भयंकर होगी दूसरे कानून में बड़ी-बड़ी कंपनियों को कांटेक्ट खेती की इजाजत दे दी है। जिसके चलते कंपनियां ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए मनचाहे मूल्यों पर मनमर्जी की फसल पैदा करवाएंगे। इसे अनाज का संकट बढ़ेगा यही नहीं इससे छोटे व मध्यम किसान और भूमिहीन किसान जो आज जमीन ठेके पर लेकर खेती करते हैं। वह खत्म हो जाएंगे वह किसान स्वयं अपने ही जमीन पर मजदूर बन जाएगा।तीसरे कानून में जरूरी खाद्य वस्तुओं की जमाखोरी से रोक हटा ली गई है। इसके चलते बड़े व्यापारी सस्ते में किसान से फसल व उत्पादन खरीद कर अपने बड़े गोदामों में रखेंगे। यह कालाबाजारी को छूट देना है। जिसके चलते गेहूं चावल दाल आलू प्याज समेत तमाम आवश्यक वस्तुओं के दाम बेलगाम तरीके से बढ़ने लगेंगे। इन कानूनों के आने से पहले ही हरियाणा में अदानी और अंबानी ने सैकड़ों हजारों एकड़ जमीन खरीद कर अपने गोदाम बनाने शुरू कर दिए हैं। इतना ही नहीं यह सरकार ने मजदूरों के लिए बनाए गए कानूनों में भी संशोधन कर दिया है। पहले से बने 44 श्रम कानूनों को समाप्त करके चार वेज कोड बना दी गई हैं।आगे से यूनियन बनाने आंदोलन करने, हड़ताल करने, जैसे जनतांत्रिक अधिकारों पर हमला किया जा रहा है। यही नहीं न्यायालय में अपील तक के अधिकार को लेकर लेबर कोर्ट को ही खत्म कर दिया गया है। डंगवाल ने बताया कि देश के तमाम मजदूरों और किसानों को सरकार के इन कानूनों को खत्म करने की लड़ाई में शामिल होना चाहिए। और इस आंदोलन को मजबूती प्रदान करने के लिए सहयोग करना चाहिए। आज की सभा को सिंचाई ब्रांच के प्रधान जगदीश चंद्र, बी एंड आर के प्रधान कपि, सचिव अजब सिंह, जिला कोषाध्यक्ष पूर्ण सिंह दहिया, समय सिंह, रमेश वर्मा, जयदेव ने भी संबोधित किया।
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