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फरीदाबाद, 8 फरवरी। सूरजकुंड मेले में जगह-जगह आपकों ढोल-नगाड़ों की थाप पर युवा नाचते दिखाई दे जाएंगे। इनके मादक लोकगीत और धुनें सुनकर सहसा ही पांव ताल से ताल मिलाने लगते हैं।
फूड कोर्ट, बड़ी चौपाल, वीआईपी गेट
, छोटी चौपाल, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश आदि संभागों में कहीं बीन पार्टी तो कहीं बनचारी, कहीं हिमाचल की दुंदुभि, बिगुल, ढोल तो कहीं रॉक बैंड आपको बजते सुनाई दे जाएंगे। इन्हीें के आसपास गोल घेरे में युवाओं की टोलियां नाचती नजर आती हैं। ये वादक सुनने वालों में इतना जोश भर देते हैं कि आदमी नाचे बिना रह नहीं पाता। बनचारी तो होली के गीत अभी से गाने लगे हैंं। इसी तरह तंजानिया, युंगाडा आदि अफ्रीकन देशों के कलाकार भी मेले में अपने वाद्य-यंत्रों और लोक नृत्य से रौनक लगा रहे हैं। देशी-विदेशी पर्यटकों को एक साथ डांस करते देखकर ऐसा लगता है कि दुनिया इस मेले में सिमट आई है। मौज-मस्ती का यह दौर लगता नहीं कि अभी थमने वाला है। मेले के समापन 16 फरवरी तक आप कभी भी नाचने या फिर मस्ती भरे सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने आ सकते हैं।
फूड कोर्ट, बड़ी चौपाल, वीआईपी गेट
, छोटी चौपाल, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश आदि संभागों में कहीं बीन पार्टी तो कहीं बनचारी, कहीं हिमाचल की दुंदुभि, बिगुल, ढोल तो कहीं रॉक बैंड आपको बजते सुनाई दे जाएंगे। इन्हीें के आसपास गोल घेरे में युवाओं की टोलियां नाचती नजर आती हैं। ये वादक सुनने वालों में इतना जोश भर देते हैं कि आदमी नाचे बिना रह नहीं पाता। बनचारी तो होली के गीत अभी से गाने लगे हैंं। इसी तरह तंजानिया, युंगाडा आदि अफ्रीकन देशों के कलाकार भी मेले में अपने वाद्य-यंत्रों और लोक नृत्य से रौनक लगा रहे हैं। देशी-विदेशी पर्यटकों को एक साथ डांस करते देखकर ऐसा लगता है कि दुनिया इस मेले में सिमट आई है। मौज-मस्ती का यह दौर लगता नहीं कि अभी थमने वाला है। मेले के समापन 16 फरवरी तक आप कभी भी नाचने या फिर मस्ती भरे सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने आ सकते हैं।
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