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फरीदाबाद/नई दिल्ली, 13 जुलाई, 2019: भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या वर्ष 2018 में 1.49 लाख बढ़ गई। इसमें भी हरियाणा उन राज्यों में रहा, जहां ऐसी दुर्घटनाओं में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई। पिछले वर्ष के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018 में हरियाणा में 11,238 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 5,118 लोग मारे गए और 1 लाख से अधिक घायल हो गए। 2017 में 11,258 दुर्घटनाओं में 5,120लोग मारे गए थे और 10,339 घायल हुए थे, जबकि 2016 में सड़क दुर्घटनाओं में 5,024 लोगों की मृत्यु हुई थी।फरीदाबाद में 2017 में 712 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 276 लो
गों की जान गई, जबकि वर्ष 2016 में 624 सड़क हादसों में 212 लोग ही मारे गए थे।इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट्स (आईआरटीई) के अध्यक्ष रोहित बलूजा ने कहा, “भारत समेत दुनिया भर में यातायात की भीड़, सुरक्षा, शहरों में जीने की क्षमता, पर्यावरण पर प्रभाव और यातायात परिचालन की प्रभावशीलता रोजमर्रा की चिंता हैं। यातायात इंजीनियरिंग, चालक एवं बेड़ा प्रबंधन, दुर्घटना जांच, यातायात क्रियान्वयन तथा दुर्घटना के बाद प्रबंधन जैसे सभी क्षेत्रों में पेशेवर और वैज्ञानिक कर्मियों की कमी इस समय देश के सामने बड़ी समस्या है। यही वजह है कि सड़क पर यातायात का ज्यादातर प्रबंधन गड़बड़ हो रहा है और सलाहकारों की मदद ली जा रही है। इन चुनौतियों से निपटने को तैयार पेशेवरों की मांग भी बढ़ती जा रही है।”डॉ. रोहित बलूजा ने कहा, “घातक सड़क दुर्घटनाओं की संख्या कम करने तथा नियंत्रण, अनुशासन तथा सड़क पर झड़पों के लिए यातायात प्रबंधन एवं सड़क सुरक्षा प्रबंधन में वैज्ञानिक नजरिये की जरूरत है। यातायात प्रबंधन के सभी क्षेत्रों; यातायात इंजीनियरिंग, सड़क सुरक्षा ऑडिट, चालक प्रशिक्षण एवं बेड़ा प्रबंधन, यातायात क्रियान्वयन एवं सड़क दुर्घटना जांच, वाहन फिटनेस एवं दुर्घटना के उपरांत प्रबंधन में पेशेवरों की कमी है।”डॉ. बलूजा ने कहा, “यातायात प्रबंधन के सभी क्षेत्रों में शैक्षिक एवं व्यावहारिक ज्ञान शामिल करने के उद्देश्य से इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजूकेशन (आईआरटीई) के कॉलेज ऑफ ट्रैफिक मैनेजमेंट ने यातायात प्रबंधन में दो वर्ष का स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (एमएससी) आरंभ किया है।”
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