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सब्सिडी से नहीं चल सकती दिल्ली मैट्रो, किराया बढ़ाना जरूरी थाः मंगू सिंह

Posted by : pramod goyal on : Friday 12 October 2018 0 comments
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फरीदाबाद, 12 अक्तूबर - दिल्ली मैट्रो रेल निगम (डीएमआरसी) के प्रबंध निदेशक मंगू सिंह सिंह ने आज कहा कि दिल्ली मैट्रो जैसी स्वयं वहनीय कोई भी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पूर्णतः सब्सिडी पर नहीं चल सकती। सब्सिडी से केवल किराये में कुछ समय के लिए राहत मिल सकती है लेकिन इससे सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का स्वयं वाहनीय मॉडल प्रभावित होता है। 
श्री मंगू, जिन्होंने दिल्ली और कोलकाता के मैट्रो प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, आज जेसी बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए फरीदाबाद में ‘सतत शहरी यातायात के रूप में मैट्रो’ विषय पर बोल रहे थे। सत्र की अ
ध्यक्षता कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने की। कार्यक्रम को इंडस्ट्री रिलेशन्स प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित किया गया था।
मैट्रो किराया संशोधन को लेकर एक विद्यार्थी द्वारा पूछे गये प्रश्न के उत्तर में श्री सिंह ने कहा कि मैट्रो का किराया आठ वर्षाें के अंतराल के बाद वर्ष 2017 में संशोधित किया गया था। इससे पहले यह संशोधन वर्ष 2009 में हुआ था। दिल्ली मैट्रो रेल निगम को जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए), जिसने दिल्ली मैट्रो के पहले व दूसरे चरण के लिए फंडिंग की थी, का कुल 28,000 करोड़ रुपये का लोन चुकाना है। इस समय दिल्ली मैट्रो की अंडरग्राउंड लाइन की प्रति किलोमीटर कुल निर्माण लागत 600 से 700 करोड़ रुपये है और ऊपरी लाइन की निर्माण लागत प्रति किलोमीटर 280 से 300 करोड़ रुपये है। यदि मैट्रो का किराया निरंतर अंतराल पर न बढ़ाया जाये तो दिल्ली मैट्रो रेल निगम द्वारा लोन नहीं चुकाया जा सकता।

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