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स्वर्ग की स्थापना उन्हीं के कर कमलों से संभव होती है जो प्रसन्न होते हैं - सुधांशु महाराज

Posted by : pramod goyal on : Friday 12 October 2018 0 comments
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फरीदाबाद,। विश्व जागृति मिशन फरीदाबाद मण्डल द्वारा सेक्टर-12,नजदीक सैल्स टैक्स ऑफिस,टाऊन पार्क के सामने आयोजित विराट भक्ति सत्संग में परमपूज्य श्री सुधांशु जी महाराज ने बताया कि संस्कृत में एक श्लोक है-वदनम् प्रसाद सदनम्, सदयम् हृदयम् सुधमुचो वाच:। करणम् परोपक
रणम्, ऐषां तेषानु ते वन्द्या।। अर्थात् जिनके मुखमण्डल पर सदैव प्रसन्नता विराजमान रहती है, जो अपने जीवन में शान्त, सन्तुष्ट और प्रसन्नचित्त रहते हैं।
सर्दी-गर्मी, लाभ-हानि, जीत-हार और सुख-दु:ख की विषम परिस्थितियों में प्रसन्नता से भरपूर रहते हैं, मधुर-मुस्कान जिनके मुख मण्डल पर सदैव तैरती रहती है। वे लोग इस जहान में वन्दनीय हैं, धन्य हैं और पूज्यनीय हैं। क्योंकि दुनिया में स्वर्ग की स्थापना उन्हीं के कर कमलों से संभव होती है जो प्रसन्न होते हैं। उन्होनें बताया कि प्रसन्नचित्त रहने के लिए कुछ विशेष चिन्तन करना जरूरी है। जैसे कि कहा जाता है ऐसे न कमाओ कि पाप हो जाए, ऐसे कार्यों में न उलझो कि चिन्ता का जन्म हो जाए, ऐसे न खर्च करना कि कर्ज हो जाए, ऐसे मदमस्त होकर न खाना कि मर्ज हो जाए, ऐसी वाणी न बोलना कि कलेश हो जाए, और संसार की उबड़-खाबड़ राहों में ऐसे लडख़ड़ाकर न चलना कि देर हो जाए। प्रसन्न रहने के लिए यह महत्वपूर्ण संदेश है। इस मौके पर प्रधान राजकुमार अरोड़ा,महासचिव पीडी आहूजा,सचिव डॉ.आरबी बारी,डॉ विजयलक्ष्मी बारी,सुरेन्द्र सिंह,कंचन जुनेजा,वीके सिंह,एचबी भाटिया,अशोक सेतिया,जेपी गुप्ता,सुखपाल,आरके कौशिक,वीना कौशिक,अनिल आहूजा,दीपक सहित हजारों की संख्या में भक्त उपस्थित थे।

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