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फरीदाबाद । विधानसभा के 17 अगस्त से शुरू हो रहे मानसून सत्र में बिल पारित कर हाईकोर्ट के निर्णय से प्रभावित कर्मचारियों की नौकरी बचाने, सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने और प्रदेश के कर्मचारियों की अन्य मांगों का बातचीत से समाधान करने को लेकर बृहस्पतिवार को कर्मचारियों ने मशाल जलूस निकाला। कर्मचारियों ने सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन भी किया। विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने मशाल जलूस से पूर्व न
गर निगम मुख्यालय के समक्ष सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के जिला प्रधान अशोक कुमार की अध्यक्षता मे कर्मचारी सभा का आयोजन किया। सभा में सर्वसम्मति से पारित किए गए प्रस्ताव में सरकार को अल्टीमेटम दिया गया कि अगर 19 अगस्त तक कर्मचारियों की मांगों का समाधान नहीं किया गया तो 20 अगस्त को विभिन्न विभागों के भारी संख्या में कर्मचारी चंडीगढ़ विधानसभा कूच करेंगे।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश महासचिव सुभाष लाम्बा, मुख्य संगठनकर्ता विरेन्द्र डंगवाल व वरिष्ठ उपप्रधान नरेश कुमार शास्त्री ने कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए सरकार पर वादाखिलाफी व कर्मचारियों की जायज मांगों का समाधान न करने और जनसेवा के विभागों में निजीकरण, आऊटसोर्सिंग व ठेका प्रथा की नीतियों को तेजी से लागू करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार विधानसभा के सत्र में हरियाणा रेगूलाईजेशन सर्विस बिल-2018 को पारित करवाना चाहती है, उससे कर्मचारियों को कोई ज्यादा लाभ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने बिल के ड्राफ्ट का अध्ययन करने के बाद सरकार को महत्वपूर्ण सुझाव तैयार किए हैं, जिसको कल सरकार को भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि जब तक सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, विश्वविद्यालयों, नगर निगमों, पालिकाओं, परिषदों, पंचायती राज संस्थाओं, सहकारी समितियों, समितियों आदि में आऊटसोर्सिंग पॉलिसी पार्ट-1 व 2 में लगे सभी प्रकार के गेस्ट टीचर, विश्वविद्यालयों में कार्यरत सहायक लैक्चरर, एक्सटेंशन लैक्चरर, वोकेशनल टीचर, कम्पयूटर टीचर, लैब सहायकों, पार्ट टाईम, दैनिक वेतनभोगी, वर्कचार्ज, तदर्थ, टर्म अपाइंटी, ग्रामीण व शहरी ट्यूबवैल ऑपरेटर को नियमित करते हुए हाईकोर्ट के निर्णय से प्रभावित कर्मचारियों की सेवाएं सुरक्षित करने का फैसला नहीं होगा, प्रदेश में कर्मचारी आंदोलन जारी रहेगा।
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