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आयशर विद्यालय सैक्टर 46 फरीदाबाद में
स्पिक मैके द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘विरासत’ का दूसरा दिवस
आयशर विद्यालय सैक्टर 46 फरीदाबाद में स्पिक मैके द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘विरासत’ के दूसरे चरण का शुभारंभ हुआ। आज का कार्यक्रम विरासत पूरी तरह से पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित था। उनके कार्य सदा हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे। वे हमारे दिलों में सदैव जीवित रहेंगे। ऐसे महान व्यक्तित्व को शत्-शत् नमन। आज़ के कार्यक्रम के मुख्य कलाकार पद्म भूषण विश्व विख्यात बाँसुरीवादक पं॰ हरिप्रसाद चैरसिया एवं पद्म श्री की उपाधि से सम्मानित ‘उस्ताद शाहिद परवेज़ खान’ थे। कार्यक्रम के आरंभ में दीप प्रज्ज्वलित किया गया। कार्यक्रम के दौरान गुडअर्थ फाउन्डेशन के चेयरमैन श्री एच.डी.एस. मल्होत्रा, स्कूल प्रबंधक श्री अर्जुन जोशी, स्पिक मैके के मूलक (फाउन्डर) श्री किरण सेठ विशेष रुप से उपस्थित रहे। पं॰ हरिप्रसाद चैरसिया जी ने सर्वप्रथम पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को संगीतमय श्रद्धांजलि अर्पित की। पं॰ हरिप्रसाद चैरसिया जी कई फिल्मों में भी अपनी बाँसुरी की धुन से दर्शकों का मन मोह चुके हैं उन्होंने ‘राग यमन’ बजाया जो कि संध्या का राग है, इसे सुनकर दर्शक आनंद विभोर हो उठे। उनके साथ तबले पर श्री रामकुमार मिश्रा जी ने संगत दी। सुश्री देबोप्रिया रानादिवे एवं सुश्री यूगा जी ने भी बाँसुरी में उनका साथ देकर कार्यक्रम को चार-चाँद लगा दिए। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने दर्शकों के अनुरोध पर ‘पहाड़ी धुन’ बजाई जिसकी छाप मानस पटल पर सदैव छाई रहेगी।
इसी चरण के दूसरे कलाकार पदम श्री ‘उस्ताद शाहिद परवेज़ खान’ थे। इसके पिता उस्ताद अज़ीज़ खान ही उनके गुरु रहे। उन्होंने ‘उस्ताद शाहिद परवेज़ खान’ को सितार की बारीकियों से इस कदर परिचित करवाया कि ये विश्व विख्यात हो गए। आज़ जैसे ही इनकी उँगलियों ने सितार को छुआ पूरा वातावरण ही संगीतमय हो गया। तबले पर ‘श्री हफीज़ अहमद अलवी’ ने संगत देकर संगीतमय शाम में चार चाँद लगा दिए। दर्शक उनकी सितार की धुन में इतना डूब गए कि वे अपनी सुध-बुध ही खो बैठे।
स्पिक मैके द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘विरासत’ का दूसरा दिवस
आयशर विद्यालय सैक्टर 46 फरीदाबाद में स्पिक मैके द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘विरासत’ के दूसरे चरण का शुभारंभ हुआ। आज का कार्यक्रम विरासत पूरी तरह से पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित था। उनके कार्य सदा हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे। वे हमारे दिलों में सदैव जीवित रहेंगे। ऐसे महान व्यक्तित्व को शत्-शत् नमन। आज़ के कार्यक्रम के मुख्य कलाकार पद्म भूषण विश्व विख्यात बाँसुरीवादक पं॰ हरिप्रसाद चैरसिया एवं पद्म श्री की उपाधि से सम्मानित ‘उस्ताद शाहिद परवेज़ खान’ थे। कार्यक्रम के आरंभ में दीप प्रज्ज्वलित किया गया। कार्यक्रम के दौरान गुडअर्थ फाउन्डेशन के चेयरमैन श्री एच.डी.एस. मल्होत्रा, स्कूल प्रबंधक श्री अर्जुन जोशी, स्पिक मैके के मूलक (फाउन्डर) श्री किरण सेठ विशेष रुप से उपस्थित रहे। पं॰ हरिप्रसाद चैरसिया जी ने सर्वप्रथम पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी को संगीतमय श्रद्धांजलि अर्पित की। पं॰ हरिप्रसाद चैरसिया जी कई फिल्मों में भी अपनी बाँसुरी की धुन से दर्शकों का मन मोह चुके हैं उन्होंने ‘राग यमन’ बजाया जो कि संध्या का राग है, इसे सुनकर दर्शक आनंद विभोर हो उठे। उनके साथ तबले पर श्री रामकुमार मिश्रा जी ने संगत दी। सुश्री देबोप्रिया रानादिवे एवं सुश्री यूगा जी ने भी बाँसुरी में उनका साथ देकर कार्यक्रम को चार-चाँद लगा दिए। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने दर्शकों के अनुरोध पर ‘पहाड़ी धुन’ बजाई जिसकी छाप मानस पटल पर सदैव छाई रहेगी।
इसी चरण के दूसरे कलाकार पदम श्री ‘उस्ताद शाहिद परवेज़ खान’ थे। इसके पिता उस्ताद अज़ीज़ खान ही उनके गुरु रहे। उन्होंने ‘उस्ताद शाहिद परवेज़ खान’ को सितार की बारीकियों से इस कदर परिचित करवाया कि ये विश्व विख्यात हो गए। आज़ जैसे ही इनकी उँगलियों ने सितार को छुआ पूरा वातावरण ही संगीतमय हो गया। तबले पर ‘श्री हफीज़ अहमद अलवी’ ने संगत देकर संगीतमय शाम में चार चाँद लगा दिए। दर्शक उनकी सितार की धुन में इतना डूब गए कि वे अपनी सुध-बुध ही खो बैठे।
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