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फरीदाबाद : शहीद पं. चंद्रशेखर आजाद के जन्मोत्सव के अवसर पर सेक्टर 2 में एक समारोह का आयोजन अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा द्वारा किया गया। जिसमें जिले के सभी ब्राह्मण संगठनों, समाजसेवी संस्थाओं एवं गणमान्य लोगों ने भाग लिया। समारोह के
अवसर पर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा का अनावरण किया गया और सेक्टर दो बाईपास चौक का नाम शहीद चंद्रशेखर के नाम पर रखा गया। आए हुए भक्तों ने भारत माता की जय, शहीद चंद्रशेखर आजाद अमर रहे के नारे लगाकर विधिवत रूप से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. सुरेंद्र शर्मा बबली शहीद चन्द्रशेखर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् 1922 में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड किया। इसके पश्चात् सन् 1927 में ‘बिस्मिल’ के साथ 4 प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद, उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन’ का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स की हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।
अवसर पर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा का अनावरण किया गया और सेक्टर दो बाईपास चौक का नाम शहीद चंद्रशेखर के नाम पर रखा गया। आए हुए भक्तों ने भारत माता की जय, शहीद चंद्रशेखर आजाद अमर रहे के नारे लगाकर विधिवत रूप से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समारोह में उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. सुरेंद्र शर्मा बबली शहीद चन्द्रशेखर के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से थे। सन् 1922 में गाँधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड किया। इसके पश्चात् सन् 1927 में ‘बिस्मिल’ के साथ 4 प्रमुख साथियों के बलिदान के बाद, उन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को मिलाकर एक करते हुए ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन ऐसोसियेशन’ का गठन किया तथा भगत सिंह के साथ लाहौर में लाला लाजपत राय की मौत का बदला सॉण्डर्स की हत्या करके लिया एवं दिल्ली पहुँच कर असेम्बली बम काण्ड को अंजाम दिया।
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