HEADLINES


More

पहलवान नेत्रपाल हुड्डा को कुश्ती के सर्वोच्च सम्मान ‘ध्यानचंद अवार्ड’ से पुरस्कृत किया जाएगा

Posted by : pramod goyal on : Friday 21 August 2020 0 comments
pramod goyal
//# Adsense Code Here #//


फरीदाबाद, 21 अगस्त। एशियाई खेलों व राष्ट्रमंडल खेलों के पदक विजेता पहलवान नेत्रपाल हुड्डा को कुश्ती के सर्वोच्च सम्मान ‘ध्यानचंद अवार्ड’ से पुरस्कृत किया जाएगा। यह सम्मान उन्हें 1970 में बैंकाक में आयोजित एशियन गेम्स में कुश्ती के
74 किलो भार वर्ग में फ्री स्टाइल वर्ग में कांस्य पदक, 1974 में न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में फ्री स्टाइल 82 किलो भार वर्ग में रजत पदक, वर्ष 1970 से लेकर 1982 तक लगातार राष्ट्रीय खेल पदक प्राप्त करने व वर्ष 1968, 1969, 70, 74, 75 व 76 में नेशन चैंपियन बनने जैसे कारनामे करने पर दिया जा रहा है।
भारतीय खेल प्राधिकरण ने इस संबंध में सेना से कैप्टन पद से सेवानिवृत्त पूर्व भारत केसरी 76 वर्षीय नेत्रपाल हुड्डा को फोन कर सूचित कर दिया है और उन्हें सूट के लिए नाम भेजने को कहा गया है। इस सूचना के बाद पहलवान के परिवार व उनके शिष्यों में खुशी की लहर दौड़ गई है। सम्मान की सूचना मिलने पर केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा, विधायक नरेंद्र गुप्ता तथा चेयरमैन नयनपाल रावत ने शुभकामनाएं एवं बधाई दी और उम्मीद जताई कि इससे पहलवानी खेल को बढ़ावा मिलेगा।
उल्लेखनीय है कि पहलवान नेत्रपाल के कई शिष्य उन्हें अवार्ड दिलाने के लिए पिछले करीब 11 वर्षों से प्रयासरत थे, अपने गुरु को अब ध्यानचंद अवार्ड मिलने की उनकी इच्छा पूरी हो रही है। फोन आने के बाद उनके परिवार में प्रसन्नता का वातावरण है और शिष्य गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। पिछले 11 वर्षों से प्रयासरत नेत्रपाल हुड्डा के शिष्यों ने एक बार फिर अवार्ड के लिए उनके नाम की सिफारिश के लिए प्रयास किए और आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई। अवार्ड के लिए फोन आने पर बुजुर्ग नेत्रपाल कहते हैं कि अवार्ड के लिए इंतजार लंबा हो गया था और अब तो उन्होंने उम्मीद ही छोड़ दी थी। अब फोन आया तो संतुष्ट हूं। खुशी इन बच्चों व परिवार को अधिक है। मुझे तो संतुष्टि है, बाकी न मिलता तो कोई गम नहीं था। नेत्रपाल की पत्नी सुरेंद्र कौर हुड्डा, पुत्र परविंदर व पुत्रवधु कवित ने कहा कि यह हमारे परिवार, गांव दयालपुर, जिला और हरियाणा प्रदेश के लिए गौरव की बात है। हम सब खुश हैं। नेत्रपाल वर्ष 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भी अपने जौहर दिखा चुके हैं।
उनके शिष्य टोनी पहलवान ने बताया कि जिले के गांव दयालपुर में जन्मे नेत्रपाल हुड्डा ने 18 वर्ष की उम्र में ही सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हो गए थे। वर्ष 1965 में उनकी पोस्टिंग असम में हुई। सेना में ही रहते हुए प्रसिद्ध पहलवान कैप्टन स्व. चांदरूप से कुश्ती के गुर सीखने वाले नेत्रपाल ने इसके बाद राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में ढेरों पदक हासिल किए। अमृतसर में वर्ष 1972 में रुस्तम-ए-हिन्द का खिताब मिला तो वर्ष 1973 में मेहर सिंह पहलवान को चित कर ‘भारत केसरी’ का पुरस्कार भी प्राप्त किया था।

No comments :

Leave a Reply