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बर्खास्त पीटीआई को बहाल करने की मांग को लेकर हजारों कर्मचारियों ने गिरफ्तारी दी

Posted by : pramod goyal on : Friday 14 August 2020 0 comments
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फरीदाबाद।
पीटीआई की नई भर्ती के लिए 23 अगस्त के टेस्ट को रद्द करवाने और बर्खास्त पीटीआई को बहाल करने की मांग को लेकर बुधवार को हजारों कर्मचारियों ने गिरफ्तारी दी। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने ऐलान किया कि अगर 17 अगस्त तक निर्दोष पीटीआई को बहाल नही किया तो 18 अगस्त को सभी गांवों, शहरों एवं कस्बों में प्रर्दशन करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा माननीय सुप्रीम कोर्ट में रिक्त पदों बारे दी गलत जानकारी देने व कमजोर पैरवी करने की वजह से पीटीआई सुप्रीम कोर्ट में केस हारे हैं। उन्होंने कहा कि अब सरकार इन निर्दोष बर्खास्त 1983 पीटीआई की सेवा बहाली के सभी विकल्पों पर गंभीरता से विचार करने की बजाय अपने कृत्यों पर पर्दा डालने के लिए इस मुद्दे का राजनैतिकरण करने में जुटी हुई है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री ने ऐलान किया कि जब तक बर्खास्त 1983 पीटीआई की सेवाएं बहाल नही होगी,प्रदेश में आंदोलन जारी रहेगा। हरियाणा शारीरिक शिक्षक संधर्ष समिति के सदस्य ब्रजेश नागर व जिला अध्यक्ष संतोष ने कहा कि बर्खास्त पीटीआई पिछले दो महीनों में मुख्यमंत्री से लेकर सभी मंत्री, सांसदों व विधायकों से मिल चुके हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा अभी तक कुछ हासिल नहीं हुआ है। दो महीने से वेतन न मिलने से पीटीआई व परिजनों से सामने भारी संकट पैदा हो गया है। 

बर्खास्त पीटीआई और उनके समर्थन में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा से जुड़े विभिन्न विभागों से बड़ी संख्या में आए कर्मचारी सेक्टर 12 ओपन थिएटर में एकत्रित हुए। वहां एक बड़ी कर्मचारी सभा करने के उपरांत कर्मचारियों ने गिरफ्तारी देने के लिए डीसी आफिस के लिए मार्च किया। मेन गेट पर भारी संख्या में मौजूद पुलिस बल ने कर्मचारियों के जूलूस मार्च को रोक लिया। कर्मचारियों ने अपने आपको गिरफ्तारी के लिए पेश किया। प्रशासन का गिरफ्तारी के लिए कोई प्रबंध नहीं देख कर्मचारी नेता भड़क गए और उन्होंने दस मिनट में गिरफ्तारी के लिए बसें मंगवाने का अल्टीमेटम दिया। जिससे प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। कुछ समय बाद प्रशासन ने 8 बसों को मंगवाया। लेकिन कर्मचारियों की संख्या अधिक होने के कारण बड़ी संख्या में कर्मचारी बसों से बहार रह गए। जिन्होंने ओर बसें मंगवाने को लेकर करीब दो घंटे हंगामा किया। करीब तीन घंटे प्रर्दशन करने के बाद तहसीलदार ने सभी कर्मचारियों को गिरफ्तार करने और रिहा करने की घोषणा की गई।

शारीरिक शिक्षक संधर्ष समिति के नेता बृजेश नागर ने कहा किमाननीय सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई के अंतिम दौर में सरकार से राज्य में पीटीआई के रिक्त पदों के बारे में जानकारी मांगी थी। ताकि 68 याचिकाकर्ताओं को रिक्त पदों पर एडजस्ट कर पीटीआई भर्ती को रेगुलराइज किया जा सके। लेकिन सरकार के निर्देश पर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने 29 जनवरी,2020 को सुप्रीम कोर्ट में  पीटीआई का कोई भी पद रिक्त न होने का हलफनामा दाखिल किया गया। जबकि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार 1 जनवरी, 2020 को 1612 पद टीजीटी फिजिकल एजुकेशन ( स्टेट केडर सर्विस रूल,2012 के अनुसार पीटीआई का बदला हुआ पदनाम) के पद रिक्त थे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा दी गई इस गलत जानकारी देने के कारण और केस को मजबूती से डिफेंड न करने के कारण ही आज 1983 पीटीआई सड़कों पर धक्के खा रहे हैं। इसीलिए पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की हुई है। जिस पर अंतिम फैसला आना बाकी है। जब तक सरकार ने नई भर्ती प्रक्रिया को रोकना चाहिए।

जेल भरों आंदोलन में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के नेता राज सिंह, अशोक कुमार, बलबीर सिंह बालगुहेर,युद्वबीर सिंह खत्री, शब्बीर अहमद गनी, दिनेश कुमार,धर्मबीर वैष्णव, खुर्शीद अहमद, रविन्द्र नागर, हाजी सहजाद,मास्टर भीम सिंह,गुरुचरण सिंह खाडियां, करतार सिंह,रमेश चंद्र तेवतिया, कृष्ण कुमार, गांधी सहरावत, जगदीश चन्द्र,वरुण श्यौकंद,अजय सिंह आदि मौजूद थे।

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