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भारत सरकार और ग्रामीण बैंक अध्यक्षो की मनमानी के शिकार ग्रामीण कर्मचारी बेमौत मरने के मुहाने पर

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 5 August 2020 0 comments
pramod goyal
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ग्रामीण बैंको के अध्यक्षो ने अपने निहित स्वार्थो की प्रतिपुर्ति और विवेकहीनता के चलते इन अध्यक्षो ने ग्रामीण बैंक के 90% स्टाफ को एसे आरोपो के लिए जिनसे बैंक को न तो वित्तीय हानि हुयी और न ही उनकी बैंक को कोई नुकसान पहुंचाने की नीयत रही है उसके बावजूद भी स्टाफ गैर अनुपातिक दन्ड पारित करके बैंक सेवा से बर्खास्त कर दिया क्योंकि इनके अध्यक्षो ने ग्रामीण बैंक
के एसे स्टाफ को जिसके कदाचार के कारण बैंक को लाखों की धनीय हानि हुई यानि जिन्होंने फ़र्जी ऋण वितरण किया था एसे स्टाफ को इन अध्यक्षो ने अपने विवेकाधीन अधिकारो दुरुपयोग अपने निहित स्वार्थो प्रतिपुर्ति के कारण बैंक सेवा में बनाये रखा है. और इन अध्यक्षो का ग्रामीण बैंक स्टाफ पर अत्याचार का सिलसिला यही पर ही नहीं रुका इनके द्वारा सेवा से बर्खास्त स्टाफ को मिलने वाले Retiral Benifites के भुगतान में भी अपनी विवेकहीनता या दूषित मानसिकता का परिचय दिया क्योंकि इनके द्वारा कुछ स्टाफ को Gratuity और अवकाश नकदीकरण राशि का भुगतान कर दिया गया और वही अधिकांश स्टाफ को Riteral Benifites का भुगतान नहीं किया. 
एसी स्थिति में ग्रामीण बैंक स्टाफ जिसे बैंक अध्यक्षो ने अपने अहम  के चलते बैंक सेवा से बर्खास्त कर दिया है वह और उसका परिवार आज EPFO से मिलने वाली पेन्सन र 1500/- से 2000/- पर ही निर्भर होकर अपना जीवन यापन करते हुए स्वाभाविक मौत से पुर्व अकाल मौत का इंतजार कर रहा है. 
अब रही सही दुश्मनी या कसर इन ग्रामीण बैंक स्टाफ से भारत सरकार द्वारा मान सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर ग्रामीण बैंक स्टाफ के लिए राष्ट्रीयकृत बैंको के लिए लागु पेन्सन के अनुरूप पेन्सन अधिनियम 2018को लागु करना था लेकिन तोड़ मरोड़ कर त्रुटि पुर्ण ग्रामीण बैंक पेंसन अधिनियम 2018 लागु कर निकाल गई है. 
ग्रामीण बैंको पेन्सन 1अप्रैल 2018 से लागु हुई है मतलब 1अप्रैल 2018 से सेवानिवृत्ति स्टाफ को पेंशन भुगतान किए जाने लगा है. 
मुकेष जोशी ने कहा कि आपके सन्ग्यान यह तथ्य लाना चाहते हैं कि ग्रामीण बैंक स्टाफ जो बैंक सेवा में 1सितम्बर 1987 से 31मार्च 2010 के दोरान सेवारत रहा हो और कम से कम 10 वर्ष की सेवा की हो. एसा सेवायुक्त पेन्सन की पात्रता रखता है इसी के चलते ग्रामीण बैंक सेवायुक्त जो अपनी अधिवर्षिता पर चाहे वह 1अप्रैल 2018 से पुर्व या बाद सेवानिवृत्ति हुआ है पेन्सन प्राप्त कर रहा है वही जो ग्रामीण बैंक स्टाफ बैंक अध्यक्ष के अत्याचार का शिकार होकर दन्डस्वरुप सेवानिवृत्ति पेन्सन लागु दिनांक 1अप्रैल 2018 से पुर्व सेवानिवृत्ति हुआ है उसे पेन्सन से वंचित किया है और   दिनांक 1अप्रैल 2018 के बाद दन्डस्वरुप बैंक सेवा से बर्खास्त स्टाफ को पेंशन दी जा रही है. एसा करके  भारत सरकार ने हजारों ग्रामीण बैंक परिवार को जीते जी मृत्यु के लिए विवश कर दिया है. 
हम ग्रामीण बैंक स्टाफ ने भारत सरकार और ग्रामीण बैंक अध्यक्षो के अत्याचारो से अत्यन्त आहत होकर महामहिम राष्ट्रपति जी और मान सर्वोच्च न्यायालय भारत को अपने grievance applications भेजकर मृत्यु दन्ड की मान्ग की है. अभी तक हमारे 225 से अधिक पीडित साथी अपने grievance application भेज न्याय की मान्ग कर चुके और सिलसिला जारी है.

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