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महंगाई पर रोक लगाने, पेट्रोल - डीजल तथा रसोई गैस की बढ़ी हुई कीमतों को लेकर उपायुक्त कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन

Posted by : pramod goyal on : Monday 31 August 2020 0 comments
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फरीदाबाद 31 अगस्त  महंगाई पर रोक लगाने, पेट्रोल और डीजल तथा रसोई गैस की बढ़ी हुई कीमतों को वापस लेने एवं सार्वजनिक क्षेत्रों के निजी करण पर रोक लगाने की मांगों को लेकर आज सोमवार को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने उपायुक्त कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थी। इस प्रदर्शन के मार्फत देश के महामहिम राष्ट्रपति जी के नाम 16 सूत्री मांगों का ज्ञापन एवम् फरीदाबाद शहर की स्थानीय मांगों
को लेकर 12 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार श्री रणविजय सिंह को सौंपा गया। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार पार्टी के कार्यकर्ता आज प्रात राजस्थान भवन के सामने एकत्रित होने शुरू हो गए थे। प्रदर्शनकारी यहां से नारे लगाते हुए लघु सचिवालय पर पहुंचे। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व सीपीएम के जिला सचिव शिवप्रसाद एवं जिला कमेटी सदस्य वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने संयुक्त रूप से किया। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने केंद्र सरकार पर जन विरोधी नीतियों को लागू करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी की आड़ में आपदा को अवसर में बदलने के नाम पर केंद्र सरकार देश की परिसंपत्तियों को ओने पौने दामों पर देसी विदेशी पूजी पतियों को बेचना चाहती है। उन्होंने बताया कि भारतीय रेलवे जो सबसे बड़ा रोजगार प्रदान करने का उद्यम है उसका निजीकरण किया जा रहा है। इसके निजी कंपनियों के हवाले होने से सबसे अधिक नुकसान देश के गरीब और मेहनतकश जनता को होगा। क्योंकि रेल में गरीब और मजदूर लोग सफर करते हैं। इसका किराया बहुत कम है। जो गरीब आदमी आसानी से दे सकता है। यदि रेल प्राइवेट हो जाएगी तो गरीब आदमी इसमें सफर नहीं कर पाएगा। इसी तरह देश के और सार्वजनिक उद्यमों जैसे बैंक, बीमा, बिजली, पानी, परिवहन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल, भारत पैट्रोलियम, आयुध के कारखाने, कोयले की खान, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशनों, रेलवे के अस्पतालों को सरकार निजी हाथों में देना चाहती है। सार्वजनिक क्षेत्रों के निजी करण से सबसे अधिक नुकसान देश के नौजवानों को होगा। क्योंकि रोजगार के सभी अवसर बंद हो जाएंगे। सरकार मजदूरों की मेहनत से बनाए गए सार्वजनिक क्षेत्रों को बर्बाद करने पर तुली हुई है। इसकी वजह से बेरोजगारी बढ़ रही है। कल कारखाने बंद पड़े हैं मजदूर काम की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था चरमराई हुई है। गरीबों को राशन नहीं मिल रहा है। गैस पर मिलने वाली सब्सिडी को समाप्त कर दिया। गया है रेल और बसों में वरिष्ठ नागरिकों को किराए पर मिलने वाली छूट को बंद कर दिया है। इसके साथ साथ विकलांगों को भी किराए पर  छूट नहीं मिलेगी। सरकार ने श्रम कानूनों में संशोधन कर दिया है। न्यूनतम वेतन और वेतन का भुगतान समय पर हो यह अब सरकार की जिम्मेदारी नहीं रही। मजदूरों को श्रम कानूनों में मिलने वाली सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है। जनतांत्रिक  अधिकारों पर हमला तेज कर दिया गया है। आम लोगों की समस्याओं की पर सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को जन स्वास्थ्य व शिक्षा पर अधिक निवेश करना चाहिए और जमाखोरी सट्टे बाजारी तथा ठेका प्रथा पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने किसानों के लिए लाए गए तीन अध्यादेश निरस्त करने की मांग की है। ज्ञापन में दर्ज मांगों का उल्लेख करते हुए शिवप्रसाद ने बताया कि आयकर के दायरे से बाहर रहे सभी लोगों को प्रतिमाह 7500 रुपए दिए जाएं। सभी जरूरतमंद परिवारों को प्रति सदस्य 10 किलो अनाज आगामी 6 माह तक निशुल्क प्रदान किया जाए। बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाए। लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमले बंद किए जाएं। झूठे मुकदमे में फंसा कर सैकड़ों युवाओं एवं आंदोलन से जुड़े कार्यकर्ताओं को यूएपीए जैसे दमनकारी धाराओं को लगाकर जेल में बंद करने पर रोक लगाई जाए। और पहले से बंद किए गए तमाम लोगों को रिहा किया जाए। उन्होंने प्रदेश में पिछले 10 वर्षों से कार्यरत 1983 पीटीआई शिक्षकों की सेवाएं बहाल करने की मांग की। आज के प्रदर्शन को पार्टी के जिला कमेटी सदस्य विजय झा, वीरेंद्र पाल, निरंतर पराशर, नवल सिंह, ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर कामेश्वर ठाकुर, अनिल कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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