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फरीदाबाद।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने सरकार को ड्राफ्ट सौंप कर एनपीएस को रद्द करके पुरानी पेंशन स्कीम बहाल की मांग की है। ऐसा करने से प्रदेश के खजाने में सैंकड़ों करोड़ रुपये आएंगे, जो विकास कार्यों के लिए खर्च किए जा सकते हैं। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने यह मांग करते हुए बताया कि केंद्र सरकार द्वारा कोविड 19 के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट के नाम पर कर्मचारियों के वेतन भत्तों सहित कई अन्य सुविधाओं में कटौतियां की जा रही है। हरियाणा सरकार द्वारा भी केन्द्र सरकार की भांति कार्यवाही करते हुए राज्य के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी पर डेढ़ साल और एलटीसी व नई भर्तियों पर एक साल के लिए रोक लगा दी है। केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा की गई इस कार्यवाही का देशभर में पुरजोर विरोध हो रहा है। उन्होंने बताया कि केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा की गई इन कार्यवाहियों से कर्मचारियों पर किए जाने वाले खर्च को कम कर एक अल्पकालीन समय के लिए राशि जुटाने का प्रयास किया जा रहा है, जो कि उचित नहीं है। सरकार की इस कार्यवाही से अल्प समय के लिए तो राशि जुटा ली जाएगी, लेकिन सरकार द्वारा कर्मचारियों पर किए जाने वाले खर्च को अल्प समय के लिए रोक कर राशि जुटाने का जो प्रयास किया जा रहा है, इससे अर्थव्यवस्था में स्थिरता नहीं आएगी। कर्मचारियों के वेतन भत्तों में कटौती होने से उनकी क्रयशक्ति घटेगी, जिस कारण आगे अर्थव्यवस्था की अस्थिरता और अधिक बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि 28 अप्रैल को विडियो कान्फ्रेसिंग से मुख्यमंत्री के साथ कर्ममारी संगठनों की
हुई बैठक में एसकेएस ने आर्थिक संकट से बचने के लिए सरकार को सुझाव दिया था कि कर्मचारियों पर किए जाने वाले खर्च डीए आदि को अल्प समय के लिए कम करने से की बजाए कर्मचारियों पर किए जा रहे मासिक खर्च को स्थाई तौर पर कम करके भी वित्तीय संकट से उभरा जा सकता है । अर्थात न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) को खत्म करके पुरानी पेंशन को लागू करना व ठेका प्रथा समाप्त कर ठेका कर्मचारियों को सीधे विभागों के रोल पर लेने से हजारों रुपए प्रति महीने बचाए जा सकते हैं। मीटिंग में मिली जिम्मेदारी के अनुसार एसकेएस ने इसका ड्राफ्ट तैयार करके 3 जून को भेजकर गेंद सरकार के पाले में डाल दी है। लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई गई है।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि प्रदेश में लगभग 1.40 लाख कर्मचारी ऐसे हैं, जो एनपीएस के दायरे में आते हैं। यदि उन्हें पुरानी पेंशन स्कीम में शामिल किया जाता है तो सरकार को 56 करोड़ रुपए एनपीएस में जमा किए जाने वाले मासिक अंशदान की बचत हो सकती है। उन्होंने बताया कि जितनी राशि सरकार अब एनपीएस में अपना अंशदान देने में खर्च करती है उससे बहुत कम राशि सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने में खर्च होगी, वो भी 15-20 वर्षों बाद। उन्होंने आगे बताया कि नई पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों का काटा गया पूरा पैसा निजी कंपनियां शेयर मार्केट में लगाती हैं, जिससे प्रदेश को कोई लाभ नहीं हो रहा है। इससे कर्मचारियों का भविष्य तो संकट में है ही, प्रदेश के खजाने को भी प्रतिवर्ष सैंकड़ों करोड़ रुपये की चपत लग रही है। एनपीएस से ना तो कर्मचारियों को कोई लाभ हो रहा है और ना ही देश-प्रदेश को कोई लाभ हो रहा है। इसलिए हम मांग करते हैं कि राज्य सरकार विधान सभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजे और अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए एनपीएस को बंद कर पुरानी पेंशन योजना बहाल करे। इससे सैंकड़ों करोड़ रुपए प्रदेश के खजाने में बचेंगे और इसके साथ ही हर माह सरकारी कर्मचारी जो जीपीएफ कटवाएंगे वो सैंकड़ों करोड़ रुपए भी प्रदेश के खजाने में आएंगे। इससे प्रदेश के विकास कार्यों पर खर्च के लिए भी धन उपलब्ध हो जाएगा और इससे प्रदेश की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। उन्होंने पुन: मांग करते हुए कहा कि सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने जो ड्राफ्ट सरकार को बना कर दिया है ,उस पर सरकार जल्द से जल्द संज्ञान ले।
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