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मौत के साये में रह रहे हैं गरीब परिवार, घर तोडकर दे दिये खंडहर पडे फलैट

Posted by : pramod goyal on : Saturday 17 August 2019 0 comments
pramod goyal
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फरीदाबाद में शहर के सौंदर्यकरण और विकास के चलते गरीबों के बर्षों पुराने आशियाने तोडकर उन्हें खंडहर पडे हुए सरकारी फलैट दे दिये गये हैं, जिसमें रहने वाले गरीब परिवारों के उपर हर वक्त मौत मंडराती रहती है, करीब 10 साल पहले बनाये गये सरकारी आशियाने अब खंडहर हो गये हैं दीवरें टूटने लगी हैं तो छतें झडने लगी हैं कभी इस कोने से पलस्तर टूटता है तो कभी उस कोने से। गरीबों के लिये बनाये गये सपनों के आशियानों में न तो बिजली है और न ही पानी, सीवर जाम होने से बिमारियां फैल रही है, ऐसी सुविधायें देकर सरकार गरीबों से करीब 28 सौ रूपये महीने
की किस्त ले रही है जो कि 20 साल तक भरनी होगी। गरीब परिवारों की जिंदगी के साथ खिलवाड करने वाले अधिकारियों के खिलाफ शिकायतकर्ता एल एन पराशर ने प्रधानमत्री, मुख्यमंत्री सहित संबंधित विभागों को पत्र लिखकर अवगत करवाया था मगर कोई कार्यवाही नहीं हुई।
 दूर से उंचे और आलीशान नजर आ रहे ये फलैट फरीदाबाद सेक्टर 56 में बने हुए सरकारी आशियाने हैं जिन्हें गरीबों के सपनों का घर बनाया था, अब जरा इन्हीं सपनों के घरों को पास से देख लीजिये, जो कि खंडहर हो चुके हैं करीब 10 साल पहले बनाये गये आशियाने लोगों को शिफट न करने की बजह से जर्जर हो चुके हैं। अब इन्हीं खंडहर फलैटों में गरीब परिवार अपनी जान जोखिम में डाल कर रह रहे हैं और जायें भी तो कहां, शहर के सौंदर्यकरण और विकास के चलते गरीबों के बर्षों पुराने आशियाने तोड दिये गये हैं उसके बाद इन परिवारों को ये फलैट दिये गये हैं जिनका हर महीने एक परिवार करीब 28 सौ रूपये किस्त देता है जो कि 20 साल तक देनी होगी, बेशक फलैट 20 साल तक रहें या न रहें मगर किस्त तो भरनी पडेगी।
इन सरकारी आशियानों में रहने वाले परिवारों की माने तो उनके घर तोडकर उन्हें मौत के मुंह में ढकेल दिया है, जो फलैट उन्हें रहने के लिये दिये गये हैं वो पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं कभी पलस्तर गिरता है तो कभी छतें टूटती है, वो डर के साये में अपने बच्चों के साथ रहने के लिये मजबूर है कोई भी अधिकारी उनकी सुध लेने के लिये भी नहीं आता। सुविधाओं की तो पूछो ही मत साहब न पानी है और न ही बिजली, शौचालय के लिये भी ईधर उधर से पानी का जुगाड करना पडता है। सीवरों से गांदा पानी ओवर हो रहा है गंदगी के चलते बिमारियां फैल रही हैं। हम पूरी तरह से नरकीय जीवन जीने के लिय मजबूर हैं।

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