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नेता तो आसानी से दल-बदल कर लेते है, लेकिन कर्यकर्ता व समर्थक क्या करें बेचारे

Posted by : pramod goyal on : Thursday 29 August 2019 0 comments
pramod goyal
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फरीदाबाद।  नेता तो आसानी से दल-बदल कर लेते है, लेकिन कर्यकर्ता व समर्थक क्या करें बेचारे। जो अपने नेता व पार्टी के लिए दूसरे दलों के समर्थकों से लड़ते-झगडते आए है। ऐसी में उनकी स्थिति बहुत ही विचित्र हो जाती है, क्योंकि वे बाजार व दूसरे स्थानों पर अपने नेता व पार्टी के बचाव में न केवल दूसरे दलों के नेताओं की सुनते रहे है, बल्कि उन्हे गाली भी देते आयेञ् है। अब वे ऐसी स्थिति में क्या करें, यह उनके लिए कठिन परिक्षा की घडी है। ऐसे ही कुछ समर्थकों का कहना है कि वे नेताओं की चक्कर में अपने ही लोगों से लड़ते आए है, अब किस मुंह से उनकी बढ़ाई करें। कपड़ों की तरह अपने राजनैतिक लाभ के लिए दल बदलने वाले ये नेता यह सौचते है कि वे जहां भी जायेगें, उनके समर्थक या पार्टी कार्यकर्ता उनका अंधा अनुसरण करते हुए उनके साथ चले आयेगें। लेकिन यह उनका वहम है, ऐसा कोई पेड कार्यकर्ता तो कर सकता है, लेकिन पार्टी का वफादार कार्यकर्ता व समर्थक अपने ईमान को बेचने वाला नहीं है। अभी हाल ही में कांग्रेस नेत्री व पूर्व मुख्य संसदीय सचिव शारदा राठौर ने भाजपा का दामन थाम लिया। जिसके कयास काफी दिनों से लगाए जा रहे थे। लेकिन कोई ठीक प्लेट फार्म नहीं मिल रहा था। अब मुख्य मंत्री की जन आर्शिवाद यात्रा के माध्यम से शारदा पलवल की रैली में जाकर भाजपा में शामिल हो ही गई। पृथला से भाजपा टिकट की दावेदार शारदा राठौर ने कांग्रेस छोड तो दी है, लेकिन इस बात की कोई गारंटी राजनीति में कभी नहीं होती कि दूसरे दलों से आने वाले नेताओं को ही भाजपा टिकट में तरजीह दें। ऐसे में ऐसे लोग बार-बार दल बदल करके अपने राजनैतिक केरियर पर प्रश्न चिन्ह लगा बैठते है।



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