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फरीदाबाद। लोधी राजपूत जनकल्याण समिति द्वारा अमर शहीद वीरांगना महारानी अवंती बाई लोधी चौक एनआईट फरीदाबाद में शहीद अवंतीबाई लोधी जी का 188वां जन्मदिवस समाराहे का आयोजन आयोजित किया गया। समिति के संस्थापक लाखन सिंह लोधी ने महारानी अवंतीबाई लोधी के जीवनी पर प्रकाश डाला। महारानी अवंतलीबाई लोधी का जन्म 16 अगस्त 1831 को
मनकेडी मध्य प्रदेश के इस अवसर पर इस अवसर पर सचिन तंवर, संजीव कुशवाह,धम्मन सरस, धम्मन सिंह सरस, वमा्र के उपकपास, सांरग भूषण की कृतिरामगढ का राजा वंश एवं औरअब अवंजीबाई स्राज नायम, सन सत्तावन, सयिुति ने नम 189 वां जन्मदिस मनायाद्ध सी,यू बिल्सख् आई एस ने युद्ध कौशिल क र्वाण किया है। संचालनतान किया ओर अंत में देवहारागढ के पर्वत बनो में राी ओर उंगं्रजो बीच 18 दिनो तक छापामार युद्ध हुआ है, अचानक इएक गोली राी के बाये हाथ में लगी और रानी दुर्गावती का अनुसरण करते हुए 2० मार्च 1858 को आत्मबलदान कर देशप पर शहीद हो गयी जो मरकर भी अमर हो रही है।जमींदार राव जुझार लोधी परिवार में हुआ था। इनका विवाह रामगढ राज्य के राजा विक्रमादित्य के साथ हुआ इसके दो पुत्र अमान सिंह व शेर सिंह हुए। इसका उल्लेख भी धम्मन सरस को कृति अवंतीबाई प्रबंध काव्य, मदन भाट के छंदों में अग्रेज एफआरआर रैडमेन आईसीएस द्वारा सन 1912 में सम्पादित मण्डला गजेटियर में मिलता है। श्री वृदावन लाल वर्मा के उपरन्यास रामगढ की रानी, शारंग, भूषण की कृति रामबावद का राजावंश तब और अब शहीद रअवंतीबाई लोधी और वाडिंगटन केप्टन के युद्ध का विवरण सूचना और पसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रकाशित महिलाये और स्वराज नायक पुस्तक पृष्ठ 65 पर लेखिका आशा रानी बहोरा द्वारा मन सतावन के भले बिसरे शहीद का विवरण मिलता है। समिति ने मिसई वार वंडर मनाया जी एस दिन सी भू सिल्स, आई सी एस ने अपनी पुस्तक के पृष्ठ 1०4 पर रानी के युद्ध कोशिल का वर्णन किय है। कई लडाईयों में सेना का संचालन कि पद अंत क ेदेव धरगढ के पर्वतों बनो को अचानक राी के बारे हाथ मेंोली लगी ओर सेना भी लगलभग अनुसरण करते हुए अपनी तलवान से आत्म बलिदन कर देश पर शहीद हो गयी और सरकार भी अमर हो गयी।
मनकेडी मध्य प्रदेश के इस अवसर पर इस अवसर पर सचिन तंवर, संजीव कुशवाह,धम्मन सरस, धम्मन सिंह सरस, वमा्र के उपकपास, सांरग भूषण की कृतिरामगढ का राजा वंश एवं औरअब अवंजीबाई स्राज नायम, सन सत्तावन, सयिुति ने नम 189 वां जन्मदिस मनायाद्ध सी,यू बिल्सख् आई एस ने युद्ध कौशिल क र्वाण किया है। संचालनतान किया ओर अंत में देवहारागढ के पर्वत बनो में राी ओर उंगं्रजो बीच 18 दिनो तक छापामार युद्ध हुआ है, अचानक इएक गोली राी के बाये हाथ में लगी और रानी दुर्गावती का अनुसरण करते हुए 2० मार्च 1858 को आत्मबलदान कर देशप पर शहीद हो गयी जो मरकर भी अमर हो रही है।जमींदार राव जुझार लोधी परिवार में हुआ था। इनका विवाह रामगढ राज्य के राजा विक्रमादित्य के साथ हुआ इसके दो पुत्र अमान सिंह व शेर सिंह हुए। इसका उल्लेख भी धम्मन सरस को कृति अवंतीबाई प्रबंध काव्य, मदन भाट के छंदों में अग्रेज एफआरआर रैडमेन आईसीएस द्वारा सन 1912 में सम्पादित मण्डला गजेटियर में मिलता है। श्री वृदावन लाल वर्मा के उपरन्यास रामगढ की रानी, शारंग, भूषण की कृति रामबावद का राजावंश तब और अब शहीद रअवंतीबाई लोधी और वाडिंगटन केप्टन के युद्ध का विवरण सूचना और पसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रकाशित महिलाये और स्वराज नायक पुस्तक पृष्ठ 65 पर लेखिका आशा रानी बहोरा द्वारा मन सतावन के भले बिसरे शहीद का विवरण मिलता है। समिति ने मिसई वार वंडर मनाया जी एस दिन सी भू सिल्स, आई सी एस ने अपनी पुस्तक के पृष्ठ 1०4 पर रानी के युद्ध कोशिल का वर्णन किय है। कई लडाईयों में सेना का संचालन कि पद अंत क ेदेव धरगढ के पर्वतों बनो को अचानक राी के बारे हाथ मेंोली लगी ओर सेना भी लगलभग अनुसरण करते हुए अपनी तलवान से आत्म बलिदन कर देश पर शहीद हो गयी और सरकार भी अमर हो गयी।
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