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निजी बाउंसरों और बॉडीगार्ड की चुनाव पास आते ही हुई चांदी

Posted by : pramod goyal on : Sunday 21 October 2018 0 comments
pramod goyal
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जयपुर: विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज होने के साथ ही राजस्थान में नेताओं और मंत्रियों को अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है. आचार संहिता के चलते मंत्रियों की सुरक्षा में लगे सरकारी सुरक्षा तंत्र को हटा लिए जाने के बाद अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित नेता अब निजी बॉडीगार्ड, बाउंसर तथा गनमैन की सेवाएं लेने जा रहे हैं. कुछ नेता रुतबा दिखाने के लिए भी इनकी सेवाएं लेते हैं. राज्य में कार्यरत विभिन्न डिटेक्टिव एवं सिक्योरिटी एजेंसियां इन दिन बहुत व्यस्त हैं. राज्य के कई नेता चुनाव के मद्देनजर निजी सुरक्षा एजेंसियों की सेवाएं ले रहे हैं या इसकी तैयारी में हैं. 

पैट्रॅन डिटेक्टिव एंड आर्म्ड सिक्योरिटी गार्ड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजकुमार कुमावत ने बताया कि चुनाव के नजदीक आते ही कई नेताओं ने खुद की सुरक्षा के लिये बॉडीगार्ड, बाउंसर और गनमैन की मांग की है. जयपुर के साथ साथ झुंझुंनू, सीकर तथा नागौर जिलों के नेता अपनी सुरक्षा के लिए निजी सिक्योरिटी कंपनियों की ओर रुख कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि खींवसर से निर्दलीय विधायक और जाट नेता हनुमान
बेनीवाल ने अपनी सुरक्षा के लिये बांउसर, गनमैन और सिक्योरिटी गार्ड की मांग की है. लीडर्स सिक्योरिटी लिमिटेड के राजेश शेखावत ने बताया कि बहुत से नेता सामान्य दिनों में भी सुरक्षा के लिये सुरक्षा गार्ड, बाउंसर आदि की सेवाएं लेते हैं, लेकिन चुनाव से पंद्रह बीस दिन पहले चुनाव कार्यालय खुलने के समय नेताओं को सुरक्षा गार्ड, बाउंसर और बॉडीगार्ड की सेवाएं लेने की खास जरूरत महसूस होती है. उन्होंने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव के भी कई नेताओं ने उनकी कंपनी की सेवाएं ली थीं.

कुमावत ने बताया कि आमतौर पर लोकप्रिय नेताओं को चुनाव के समय जनता के बीच जाने के दौरान अपनी सुरक्षा के लिये निजी सुरक्षा एजेंसियों की सेवाओं की आवश्यकता होती है. उनकी कंपनी महिला बाउंसर और महिला सुरक्षा गार्ड भी उपलब्ध करवाती है. इस क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि आचार संहिता लगने के बाद आमतौर पर निजी सुरक्षा एजेंसी में कार्यरत सुरक्षाकर्मियों के लाइसेंस शुदा हथियारों को जमा करवाना पडता है. निजी सुरक्षा कंपनियों के कर्मचारी पुलिस आयुक्त और चुनाव आयोग की अनुमति से लाइसेंसशुदा हथियार रख सकते हैं. इसके लिए बाकायदा प्रार्थना पत्र देकर जरूरी अनुमति लेने के बाद ही नेताओं को हथियार बंद सुरक्षा कर्मी उपलब्ध करवाये जाते है.


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