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हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कहा है कि प्राइवेट स्कूलों द्वारा हर साल बढ़ाई जाने वाली फीस को नियंत्रित व रेगूलेट करने तथा फीस वृद्धि की वैधानिकता जानने के लिए हरियाणा सरकार ने प्रत्येक मंडल कमिश्नर की अध्यक्षता में फीस एंड फंडस रेगुलेटरी कमेटी (एफएफआरसी) का गठन तो कर दिया लेकिन कमेटी को फीस वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए कोई अधिकार नहीं दिया।
मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि एफएफआरसी के गठन की प्रक्रिया, उसके उद्देश्य व कार्यों तथा उसे अधिकार न दिए जाने को लेकर मंच की ओर से प्रदेश लीगल एडवाइजर सुरेंद्र कुमार गोयल की ओर से पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में एक याचिका CWP No.27893 of 2018 (O&M) डाली गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार को कई नोटिस जारी करके उसका पक्ष जाना लेकिन सरकार की ओर से कोई भी संतोष जनक जवाब नहीं दिया गया। इस पर हाईकोर्ट ने 5 सितंबर को एक आदेश जारी करके सरकार से एक एफिडेविट के रूप में अपना जवाब अगली तारीख 28 अक्टूबर से पहले दायर करने को कहा है। मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा व वरिष्ठ सलाहकार एडवोकेट बीएस बिरदी ने कहा है कि पिछले 10 साल से हरियाणा में भाजपा की सरकार है। इन 10 सालों में प्राइवेट स्कूल संचालकों ने सबसे ज्यादा शिक्षा का व्यवसायीकरण करके छात्र व अभिभावकों का जमकर आर्थिक और मानसिक शोषण किया है। मुख्यमंत्री,शिक्षा मंत्री को इस बात की पूरी जानकारी है लेकिन उन्होंने पेरेंट्स के हित में कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की है उल्टा प्राइवेट स्कूलों को पूरा संरक्षण प्रदान किया है। उनके दबाव में शिक्षा नियमावली में उनके हित में कई बदलाव करके उसे कागजी नियमावली बना दिया है। मंच ने हरियाणा के सभी अभिभावकों से कहा है कि उनको हरियाणा में हो रहे विधानसभा चुनाव में अपने वोट की ताकत को दिखाना चाहिए और अभिभावक विरोधी इस सरकार को सबक सिखाना चाहिए।
जनता को मुर्ख बनाने में school education department माहिर
ReplyDeleteहमारा देश महान कैसे बच्चों के फंड को लूटने का संवैधानिक संरक्षण प्राइवेट स्कूलों को
ReplyDeleteCorruption se bhara hai department. Parents are not heard only Pvt schools are heard. They are given free hands to rob parents.
ReplyDeleteFee and fund committee बच्चों के फंड को लूटबाने के लिए
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