HEADLINES


More

8 अक्टूबर रविवार को करनाल में होने वाली रैली अभूतपूर्व होगी - वीरेंद्र सिंह डंगवाल

Posted by : pramod goyal on : Friday 6 October 2023 0 comments
pramod goyal
Saved under : , ,
//# Adsense Code Here #//

 फरीदाबाद 6 अक्टूबर स्थाई रोजगार, प्रदेश के मजदूरों का न्यूनतम वेतन  26 हजार रुपये संशोधित करने, सामाजिक सुरक्षा की गारंटी के लिए मजदूरों को गुलाम बनाने वाले कानून और भाजपा सरकार की मजदूर किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ 8 अक्टूबर रविवार  को करनाल में होने वाली रैली अभूतपूर्व होगी। फरीदाबाद से इस रैली में ह


जारों वर्कर भाग लेंगे। यह जानकारी सीटू के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने सीटू कार्यालय में संपन्न हुई बैठक के बाद दी। इस बैठक की अध्यक्षता कामरेड निरंतर पाराशर ने की। बैठक में जिला कोषाध्यक्ष सुधा, जिला कमेटी उप प्रधान मालवती, जिला कमेटी के सह सचिव वीरेंद्र पाल, जिला कमेटी सदस्य, कमलेश, सविता, मुकेश, नरेंद्र राय भी उपस्थित रहे। जिला सचिव ने बताया कि हरियाणा में फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों की संख्या तकरीबन 60 लाख है। जिनका हरियाणा के विकास और यहां के सकल घरेलू उत्पादन में बहुत बड़ा योगदान है। सुई से लेकर  हवाई  जहाज का निर्माण मजदूरों के द्वारा किया  जाता है। भाजपा  सरकार  मजदूर विरोधी चारों  लेबर कोडस पारित कर चुकी है। ऐसा मजदूरों को गुलाम बनाने के लिए किया जा रहा है। इस कानून के बनने के बाद फैक्ट्री मजदूरों का 74% हिस्सा श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएगा। उद्योगों में मलिक मजदूरों को कभी भी नौकरी से हटा सकता है। फिक्स टर्म रोजगार की व्यवस्था, स्थाई रोजगार में लगे श्रमिकों को भी अस्थाई करने की योजना है। भाजपा ने ठेका व प्रवासी मजदूरों के अधिकारों के लिए बने कानून को ही खत्म कर दिया है। फिक्स टर्म रोजगार, फ्लेक्सी वर्क  घर से काम  आदि करने वालों की तादाद बहुत बढ़ गई है। इन मजदूरों को काफी कम वेतन पर 12-12 घंटे इसे कम लिया जाता है। जिससे अंततः बड़े-बड़े उद्योग अपना मुनाफा कमाते हैं। उद्योगों में 70 से 80 फ़ीसदी मजदूर ठेके पर हैं। जिनको स्थाई मजदूर से काफी कम वेतन मिलता है। श्रम विभाग जो मजदूरों के हितों के लिए खोले गए थे। उन्हें पंगु बना दिया गया है। राज्य में आधे से ज्यादा मजदूरों के उनकी फैक्ट्री में नाम दर्ज नहीं होते हैं।पीएफ और ईएस आई नहीं काटी जाती है।12 घंटे की अवैध रूप से ड्यूटी करवाकर सिंगल वेतन में भारी धोखाधड़ी करवाकर मजदूरों के खून को चूसने का प्रबंध किया जा रहा है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में धड़ल्ले से हो रहा है। महिला मजदूरों की हालत ज्यादा खराब है। हरियाणा में 7 साल से न्यूनतम वेतन संशोधित नहीं हो रहा है। जबकि दिल्ली में हरियाणा से न्यूनतम वेतन ₹6000 ज्यादा मिलता है। बरसों से काम कर रहे  प्रवासी मजदूरों के राशन कार्ड भी नहीं बनते हैं। अब परिवार पहचान पत्र के नाम पर अधिकतर प्रवासी मजदूरों को  सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है। कम आमदन के चलते गरीबी भुखमरी बढ़ रही है। बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा नहीं मिल रही है। मजदूरों के लिए आवास की कोई व्यवस्था नहीं है। छोटे-छोटे कमरों में कई-कई मजदूर इकट्ठे रहने के लिए मजबूर हैं। इन अवैध कॉलोनी में किसी प्रकार की पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है। साफ सफाई  की सुविधा नहीं है। सरकारी अस्पताल और स्कूल आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। यह रैली ठेका प्रथा  व निजीकरण पर रोक लगाने, परियोजना कर्मियों सहित सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के लिए की जा रही है। क्योंकि सरकार निजीकरण को  बढ़ावा दे रही है। पूंजीपतियों के मुनाफे के लिए देश के संसाधनों सार्वजनिक व सरकारी क्षेत्र जैसे रेल, कोयला, बिजली बीमा, बैंक, सब देसी विदेशी कॉर्पोरेट घरानों के हवाले किया जा रहे हैं।

No comments :

Leave a Reply